सियासत के मंझे खिलाड़ी थे आर आर पाटिल

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के प्रखर राजनेताआरआर पाटिल आज दुनिया को अलविदा कह गए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता पाटिल पिछले तीन महीने से कैंसर से जूझ रहे थे और मुंबई के लीलावती अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था।

पार्टी का ग्रामीण चेहरा माने जाने वाले पाटिल ने राज्य की सियासत में कई अहम ओहदे संभाले। कांग्रेस-एनसीपी सरकार में वह उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री रहे। महाराष्ट्र की राजनीति में उनका बड़ा कद था और उन्हें एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता था। लिहाजा, पार्टी और सरकार में उन्हें हमेशा नंबर दो की कुर्सी मिली। आर आर पाटिल को उनके विधानसभा क्षेत्र के लोग और करीबी आबा नाम से बुलाते थे।

आइये आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास तथ्य…

16 अगस्तत 1957 को महाराष्ट्र के सांगली जिले में जन्मे पाटिल का पूरा नाम रावसाहेब रामराव पाटिल था।

वर्ष 1977 में सांगली के शांति निकेतन कॉलेज से कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद एलएलबी भी की।

वर्ष 1979 में राजनीति की दुनिया में कदम रखते हुए सवलाज का जिला परिषद चुनाव लड़ा और जीते।

वर्ष 1990 में पाटिल ने 1990 से लगातार 6 बार सांगली जिले के तासगांव से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

वर्ष 1999 में वे कांग्रेस का दामन छोड़ एनसीपी में शामिल हुए और शरद पवार के करीबी बन गए।

वर्ष 1999 के नवंबर माह वे कैबिनेट मंत्री बने और ग्रामीण विकास विभाग संभाला।

दिसंबर 2003 में वे पहली बार राज्य के गृहमंत्री की गद्दी पर बैठे।

नवंबर 2004 में वे सूबे के उप मुखिया यानि उप मुख्यमंत्री बन गए।

वर्ष 2008 में मुंबई हमले के बाद उनके बयान को लेकर विपक्षी दलों ने पाटिल पर निशाना साधा था। इसके बाद पाटिल को उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।

नवंबर 2009 में दोबारा महाराष्ट्र के गृहमंत्री बने।

2014 नवंबर में मोदी लहर के बावजूद तासगांव सीट से 22 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की।

नवंबर 2014 में वे उपचार के लिए अस्तपाल में दाखिल हुए।

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