सरपंच पतियों की संस्कृति खत्म हो: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पंचायतों में एसपी यानी ‘सरपंच पतियों’ की संस्कृति को खत्म करना चाहिए। चुटकी लेने के अंदाज में उन्होंने कहा कि पंचायतों की बैठकों में महिला सरपंचों के पति बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सरपंचों के कामकाज में अनाधिकार हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री शुक्रवार को यहां राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के मौके पर देशभर से आए सरपंचों और उससे जुड़े प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। पंचायतों के बजट में तीन गुना की वृद्धि पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सिर्फ बजट बढ़ाने से गांवों के हालात नहीं बदलेंगे। इसके लिए सोच बदलने की जरूरत है। गांवों से लगाव और इस पर अपने गांव पर गर्व किए बगैर विकास संभव नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने देशभर से आये सरपंचों से बातचीत करने के अंदाज में कहा कि उन्हें गांव के हर वर्ग और आयु वर्ग के लोगों को योजना बनाने व विकास में सहभागी बनाना चाहिए। गांव के विकास में सरपंच की नेतृत्व क्षमता बहुत मायने रखती है। उन्होंने कहा कि गांव में गरीबी उन्मूलन और सबको शिक्षित करने में सरपंचों की भूमिका अहम है। ‘एसपी’ यानी सरपंच पति की चुटकी लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कारोबार बंद होना चाहिए। महिलाएं फैसला करने में सक्षम होती हैं। महिला सशक्तिकरण का कानून उन्हें पर्याप्त अधिकार देता है। सरपंचों से उन्होंने कहा कि गांव के किसी बच्चे को स्कूल नहीं छूटना चाहिए। यह उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों से कहा कि उनके पास अपने कार्यकाल में किये जाने वाले कार्यों की तैयारी होनी चाहिए। गांवों की सड़कें सरकारी धन से तो बनाई जा सकती हैं, लेकिन उसके किनारे पेड़ लगाकर खूबसूरत बनाना गांव के लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने पंचायती राज व्यवस्था में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सम्मानित भी किया।
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