महिला को यूएन महासचिव देखना चाहते हैं मून
संयुक्त राष्ट्र। भारत के बाद अब खुद संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव बान की मून ने किसी महिला को दुनिया की इस महत्वपूर्ण संस्था का प्रमुख बनाने की पैरवी की है। यूएन के सत्तर साल के इतिहास में अब तक कोई भी महिला महासचिव की कुर्सी पर नहीं बैठी है। लगातार दो कार्यकाल के बाद मून अगले साल दिसंबर में पद से हटेंगे। बान की मून के मुताबिक अब वक्त आ गया है जब किसी महिला को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख की जिम्मेदारी दे दी जाए। यूएन महासचिव के प्रवक्ता फरहान हक ने बुधवार को कहा, ‘मून कई मौकों पर कह चुके हैं कि महिला को महासचिव बनाने का वक्त आ गया है। फरहान हक ने हालांकि यह भी बताया कि अपने उत्तराधिकारी का चयन करना बान की मून के हाथ में नहीं है। उनके मुताबिक यूएन महासचिव किसी विशेष व्यक्ति के चयन पर अपनी राय व्यक्त करने नहीं जा रहे हैं। बकौल फरहान बान ने प्रतिष्ठित पदों पर आसीन (यूएन या फिर अन्य संगठनों में) कई महिलाओं से मुलाकात की है, लेकिन अगला महासचिव बनने में वह उनकी मदद नहीं कर सकते। महासचिव की चयन प्रक्रिया पर सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के प्रभुत्व को लेकर सदस्य देशों में पहले से ही नाराजगी है। वे प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की वकालत कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत अशोक मुखर्जी ने अप्रैल में कहा था कि महासचिव को सदस्य देशों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। उन्होंने यूएन में लिंग समानता पर भी जोर दिया था।
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