तोमर से नाराज केजरीवाल, आप से हो सकता है पत्ता साफ
नई दिल्ली। फर्जी डिग्री मामले में फंसे आप नेता और दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को आम आदमी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के मुताबिक आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले में सामने आई फर्जी आरटीआई से खासा नाराज हैं। तोमर को पार्टी से निकालने के बाबत अगले दो दिनों में कोई फैसला किया जा सकता है। इस मामले की जांच के लिए पार्टी ने आंतरिक लोकपाल को नियुक्त किया है। इस पूरे मामले में भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने आराेप लगाया है कि आम आदमी पार्टी को इसकी पहले से जानकारी थी।
सूत्रों की मानें तो फर्जी डिग्री मामले के सामने आने के बाद उन्होंने अपनी सफाई में एक आरटीआई बतौर सबूत पार्टी को दिखाई थी। लेकिन अब इसके ही फर्जी होने की बात सामने आई है। सूत्रों की मानें तो केजरीवाल ने कहा है कि उन्होंने तोमर पर विश्वास किया लेकिन उन्होंने पार्टी को गुमराह किया।
केजरीवाल ने तोमर पर पार्टी को धोखे में रखने का शक जाहिर करते हुए उनसे लिखित जवाब मांगा था। दिल्ली पुलिस के पास जितेंद्र सिंह तोमर की आरटीआई से प्राप्त सूचना की प्रति है जिसमें फैजाबाद के साकेत महाविद्यालय की ओर से कहा गया है कि वह 1998 में यहां के बीएससी के छात्र रहे हैं। तोमर ने इसको अपने बचाव में पेश किया है। लेकिन फैजाबाद यूनिवसिर्टी ने छानबीन में इसको फर्जी करार दिया है।
साकेत यूनिवर्सिटी के दीपक वोहरा नाम के व्यक्ति ने आरटीआई के तहत 13 फरवरी को तोमर के बारे में जानकारी मांगी थी। इसका जवाब 1 अप्रैल को दिया गया। इसमें कहा गया कि तोमर इस यूनिवर्सिटी के छात्र कभी नहीं रहे हैं। वहीं तोमर ने इसके जवाब में दूसरी आरटीआई तैयार करवाई।
17 मार्च को इस आरटीआई के तहत उन्हें इस विश्वविद्यालय का छात्र बताया गया। इस आरटीआई पर प्राचार्य के हस्ताक्षर डाक्टर लिखकर किए गए हैं। जबकि आमतौर पर हस्ताक्षर में सिर्फ नाम का ही प्रयोग किया जाता है उपाधि का नहीं। इसपर लगी मुहर के फांट में भी भिन्नता पाई गई है। इसकी पुष्टि खुद डॉक्टर ए सएन दुबे ने की है।
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