कैनेडा अमेरिका में भारतीय टीचर्स की मांग
टोरंटो ,30 मई 2013 – सरकार देश को नॉलेज इकोनॉमी’ में हब’ बनाने का सपना देख रही है। इसी के तहत आने वाले वर्षों में नए आईआईटी, आईआईएम आदि सरीखे इंस्टीट्यूट अस्तित्व में होंगे। स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, स्किल डवलॅपमेंट सेंटर्स आदि की संख्या भी बड़े पैमाने पर बढ़ाएं जाने की उम्मीद है। जिस तरह से देश के एजुकेशन सिस्टम की काया पलटने की तैयारी हो रही है, उससे इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं।
स्किल्ड टीचर्स की डिमांड भारत में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खूब है। अमेरिका जैसे देश में भी अब फुलटाइम हिन्दी टीचर्स की डिमांड काफी है। एक अनुमान के मुताबिक, अमेरिका में सात लाख टीचिंग इंस्ट्रक्टर की कमी महसूस की जा रही है। यूके और कैनेडा जैसे देश में भी इंडियन टीचर्स की मांग बढ़ रही है। खासकर इन देशों में साइंस, इंग्लिश और मैथ टीचर्स की मांग यादा है। यदि गल्फ कंट्री की बात करें, तो सऊदी अरबिया, दुबई, ओमान आदि जैसे देशों में भी इंडियन टीचर्स की काफी डिमांड देखी जा रही है। एक अनुुमान के मुताबिक, आने वाले दस वर्षों में इंटरनेशनल एजुकेशन इंडस्ट्री में 2.2 मिलियन से 2.4 मिलियन टीसर्च की जरूरत होगी।
भारतीय एजुकेशन सेक्टर काफी तेजी से बढ़ रहा है और इसी को देखते हुए कई विदेशी कंपनियों की नजर भी इस सेक्टर पर लगी हुई हैं। हाल ही कतर बेस्ड अल्टानमिया ग्रुप ने पुणे की एक वोकेशनल ट्रेनिंग से साथ डील किया है। वहीं कई कंपनी भी इस क्षेत्र में कदम रखना चाहती है, इनमें यूएस बेस्ड ल्यू स्टर्लिंग पार्टनर्स, कतर बेस्ड एजुकेशनल होल्डिंग ग्रुप आदि हैं। वहीं माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी की भी एजुकेशन सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश की योजना है। साथ ही, कई और इंस्टीट्यूट्स भी मेगा एक्सपेंशन प्लान पर विचार कर रही है। जानकार कहते हैं कि इससे एजुकेशन सेक्टर में बड़े पैमाने पर ट्रेंड प्रोफेशनल्स ही जरूरत होगी।
भारत को नॉलेज इकोनॉमी में हब बनाने की दिशा में पहल की शुरुआत हो चुकी है। भारत सरकार ने 16 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, 370 कॉलेज, आठ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), सात इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), 10 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), 20 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी), पांच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च(आईआईएसईआर) और 50 टे्रनिंग व रिसर्च सेंटर खोलने के लिए 306.82 बिलियन रुपये खर्च करने की योजना है। फिलहाल इनमें से कई यूनिवर्सिटीज की शुरुआत भी हो चुकी है।
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