ताशकंद के रास्ते काबुल का किला बचाने की तैयारी
ताशकंद। अफगानिस्तान से अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो फौज की वापसी और आतंकवाद की चिंताओं ने भारत व उजबेकिस्तान के सदियों पुराने रिश्तों की अहमियत बढ़ा दी है। आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी को गहरा बनाने के लिए मंगलवार को भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ताशकंद पहुंचे। अंसारी पहली बार उजबेकिस्तान आए हैं।
यह संयोग है कि जिस वक्त अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई भारत के दौरे पर हैं, भारत के उप राष्ट्रपति उजबेकिस्तान दौरा शुरू कर रहे हैं जो भारत की अफगान रणनीति के लिहाज से खासा अहम है। कभी बनारस से लेकर बुखारा तक एक ही साम्राय का हिस्सा रहा यह इलाका अब भले ही भारत और उजबेकिस्तान में बंट चुका है, लेकिन साझा हित अब भी दोनों मुल्कों को करीब से जोड़े हुए हैं। अंसारी ने कहा भी कि उजबेकिस्तान का उनका यह दौरा किसी पड़ोसी मुल्क की यात्रा जैसा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत और उजबेकिस्तान के आपसी सहयोग में हितों की साझेदारी पर भी उन्होंने जोर दिया। अंसारी का कहना था कि दोनों मुल्क इस संबंध में मिलकर काम कर रहे हैं।
अफगानिस्तान से सटे उजबेकिस्तान के रास्ते भारत काबुल को रोशन करने वाली तेरिमज ट्रांसमिशन लाइन बिछा रहा है। अफगानिस्तान को विकास सहायता पहुंचाने के लिए भी भारत इस रास्ते का इस्तेमाल करता है। अफगानिस्तान के डेलाराम जेरांश और ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास के जरिये भारत की कोशिश न केवल अपने रणनीतिक हितों को साधने की है बल्कि मध्य एशिया तक व्यापार के नए दरवाजे खोलने की है। जुलाई, 2014 तक अफगानिस्तान से नाटो फौज की वापसी होनी है। ऐसे में भारत की चिंता तालिबानी ताकतों को लेकर है जो अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी की जुगत में है। काबुल में तालिबान की वापसी दक्षिण एशिया में आतंकवाद और भारत के सुरक्षा हितों के लिए चुनौती साबित हो सकती है।
अपने इस चार दिवसीय दौरे में अंसारी सदियों पुराने रेशम गलियारे यानी सिल्क रूट पर स्थित समरकंद और बुखारा जैसे ऐतिहासिक शहरों की भी यात्रा करेंगे। पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे उजबेकिस्तान के साथ बेहतर रिश्तों के लिए हो रही इस यात्रा के दौरान हालांकि दोनों मुल्कों के बीच कोई नया समझौता नहीं होगा, लेकिन कोशिश 2012 में बनी रणनीतिक साझेदारी का दायरा बढ़ाने की होगी।
मीडिया से बातचीत में अंसारी ने दोनों मुल्कों के बीच नाभिकीय सहयोग की संभावना से भी इन्कार नहीं किया। दुनिया में सातवें सबसे बड़े यूरेनियम भंडार वाले उजबेकिस्तान के साथ ऊर्जा सुरक्षा की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी राह में कोई अड़चन नहीं है।
Comments are closed.