कैनेडा पेंशन योजना की पांच बातें
औटवा। वित्तमंत्री बिल मॉरनीयू प्रांतीय व क्षेत्रीय विदेश मंत्री से वैनकुअवर में मिलें और संघीय सरकार के महत्वाकांक्षी योजना कैनेडा पेंशन प्लान पर गहन चर्चा की, उनके अनुसार सीपीपी में पांच बातों को देखते हुए इसे आगे बढ़ाना चाहिए:
1) इस प्रणाली का इस प्रकार आरेख बने कि प्रत्येक कर्मचारी जो इसमें निवेश करता हैं उसे अपनी सेवानिवृत्ति पर उचित धनराशि मिलें। उसके सेवानिवृत्ति पर उसके साथ किसी अन्य प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होवें।
2) सीपीपी का प्रीमियम पिछले 20 वर्षों में केवल एक बार ही बढ़ा, 1997 में, वित्तमंत्री की अनुमति पर इसे बढ़ाया गया था, जिसमें यहीं कहा गया था कि आज निवेश करके अपनी वृद्धावस्था में अधिक धनराशि पाएं। परन्तु अब विवाद यह हैं कि सीपीपी में जितना भुगतान कर रहे हैं उसके अनुसार हमें अपनी सेवानिवृत्ति पर उतना लाभ मिलेगा।
3) सीपीपी की बढ़ोत्तरी को दो परिदृश्यों के पश्चात ही करना उचित होगा, एक इसके बोर्ड में बदलाव करके, जिसका अर्थ होगा कि सभी कर्मचारियों को अधिक से अधिक इसका लाभ मिलें। सर्वे के अनुसार मध्यम आयवर्ग के लोग अपनी बचत में इतना नहीं दे पाते कि उन्हें सेवानिवृत्ति पर अधिक धन मिल सके।
4) प्रत्येक प्रांत के लिए सीपीपी योजना नहीं होनी चाहिए, क्यूबेक का अपनी निजी योजना हैं, इसी प्रकार सासकेटचेवन का भी अपना पेंशन प्लान हैं। इसलिए सभी राज्यों में इसे लागू करने से पूर्व सोच समझकर निर्णय करना होगा।
5) सीपीपी के कई भागों में बदलाव करना बहुत कठिन हैं इसमें बदलाव मानो संविधान में बदलाव होगा। संवैधानिक संशोधन फार्मूला के अंतर्गत इसमें बदलाव एक टेढ़ी खीर हैं, 10 में से 7 प्रांत ही अभी इसके बदलाव के लिए माने हैं। जबकि नियमानुसार देश की दो तिहाई जनता का राजी होना ही इसके बदलाव का कारण बन सकता हैं। संघीय सरकार को इसके बदलाव के लिए ओंटेरियो की मदद की आवश्यकता होगी जिससे ही मजबूत राजनैतिक कारण के साथ इसमें उचित बदलाव किए जा सकें।
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