दस श्रमिकों का संबंध अभी भी कैनेडावासियों से
टोरंटो। सूत्रों के अनुसार अभी भी पिछले दो दशकों से मैगडलेन लॉन्ड्रीज में ऐसी महिलाएं अपने कुछ अपराधों के लिए पछतावा कर रही हैं, यहां रहने के अलावा उनके पास और कोई चारा भी नहीं हैं। यह कुप्रथा अभी भी दुनिया के कुछ देशों में चल रही हैं जिसमें से कैनेडा भी एक ऐसा ही देश हैं जहां चर्चों में अपने कुछ अकथित अपराधों के लिए महिलाओं से दासों से भी बुरा व्यवहार किया जा रहा हैं।
उन्हें दंड स्वरुप अत्यधिक कार्य करवाया जा रहा हैं और वेतन के नाम पर उन्हें शारिरीक व मानसिक यातनाएं दी जा रही हैं। 2013 में आयरलैंड द्वारा जारी एक माफीनामें में न्यूफाउन्डलैंड के एक शोध में बताया गया था कि कैनेडा में भी कई स्थानों पर इस प्रकार का कुकृत होता हैं। सामाजिक शास्त्र की सहायक प्रौफेसर री क्रॉल ने कहा कि यह माफी एक असाधारण कार्य हैं। इस प्रकार किसी भी बुरे काम का दंड उचित नहीं हैं, इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी, जिसमें कैनेडा में इस प्रकार के दास श्रमिकों की स्थिति उन पर हो रहे अत्याचारों का वर्णन भी किया गया।
उन्होंने बताया कि आस्ट्रेलिया में इसके प्रति जागरुकता फैलाई जा रही हैं, और सं.रा. में भी इसके प्रति जागरुकता आरंभ कर दी गई हैं। इसके विरुद्ध कठोर कदम उठाने की आवश्यकता हैं, जिसे धर्म के नाम पर यह अनैतिकता फैलाई जा रही हैं।
मध्य युग में इंग्लैंड में मेगडलीन लॉन्ड्री की स्थापना की गई जहां 20वीं सदी के आरंभ में उत्तरी अमेरिका के कई शहरों में जैसे शिकागो, टोरंटो, वैनकुअवर और मॉन्टरीयल आदि में इसे लागू किया गया।
क्रॉल ने बताया कि यह विशेषकर शरणार्थियों पर उन्हें कैदी के रुप में रखने के लिए उपयोग किया जाता था, इन महिलाओं को केवल उनके पति, भाई, न्यायाधीश, मैगेसट्रेरियन और पादरी ही मुक्त करवा सकते थे।
क्रॉल ने बताया कि इस प्रकार की महिलाओं से अत्यधिक कार्य ही नहीं लिया जाता था, बल्कि इनके साथ शारिरीक शोषण भी किया जाता था, ऐसी ही कुछ महिलाओं ने अपनी शिकायतें क्रॉल के साथ हुई वार्तालाप में बताया जिसे उसने अपनी किताब में भी लिखा, परन्तु अब उन्होंने आशा जताई कि धीरे-धीरे समय बदल रहा हैं। शिक्षित होने के साथ लोगों में यह समझ आ रही हैं कि इस प्रकार के शारिरीक अत्याचार से किसी भी प्रकार के दोष को दूर नहीं किया जा सकता, इसके लिए पछतावा ही सबसे अच्छा उपाय हैं।
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