पाकिस्तान सरकार पर साइबर निगरानी और जासूसी का आरोप

टोरंटो -पाकिस्तान में साइबर और इंटरनेट पर अभिव्यक्ति के अधिकारों के लिए काम कर रही संगठनों ने देश के अंदर बड़े पैमाने पर की जा रही साइबर निगरानी और जासूसी के आरोपों की जांच कराने की मांग की है। ये मांग तब सामने आई है जब टोरंटो स्थित रिसर्च ग्रुप के सर्वे ने बताया कि पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां बड़े पैमाने पर साइबर निगरानी और साइबर सामग्री को नियंत्रित कर रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के रिसर्च ग्रुप द सिटीजऩ लैब ने अपनी रिपोर्ट फॉर देयर आईज ओनली: डिजिटल जासूसी के बाजारीकरण में बताया है कि पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जहां इंटरनेट की सामाग्री पर अंकुश लगाने के लिए फिनफिशर कमांड और कंट्रोल सर्वर मौजूद हैं।
अब तक पाकिस्तान की पहचान उन देशों में नहीं रही है जो अपने यहां बड़े पैमाने पर साइबर संसार की सामाग्रियों पर नजर रखते हैं।
हालांकि पाकिस्तान में भी सामान्य तौर पर साइबर जगत की उन सामाग्रियों पर रोक लगाया गया है जो अलगाववादी, सरकार औसेना का विरोध करने वाले थे। साल 2012 की शुरुआत में ऐसी ख़बरें आईं थी कि एक राष्ट्रीय इंटरनेट निगरानी व्यवस्था बनाई जाए, इससे तब लाखों वेबसाइट ब्लॉक हो जातीं।
इसके विरोध में पाकिस्तान के डिजिटल अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं ने देश भर में जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान ने असर दिखाया। पिछले साल सरकार के अनुरोध के बावजूद दुनिया की पांच अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जो इंटरनेट जगत पर निगरानी रखने वाली सिस्टम बेचती हैं, ने पाकिस्तान सरकार के अनुरोध पर कोई विचार नहीं किया।
लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के रिसर्च ग्रुप द सिटीजऩ लैब ने अपनी रिपोर्ट क्लिक करें फॉर देयर आईज ओनली: डिजिटल जासूसी के बाजारीकरण में बताया है कि पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जहां इंटरनेट की सामाग्री पर अंकुश लगाने के लिए फिऩफि़शर कमांड और कंट्रोल सर्वर मौजूद हैं।
रिपोर्ट के आधार पर दो संभावनाएं हैं- एक तो सरकार ने ही फिनफिशर सर्वर को स्थापित कराया है या फिर कोई विदेशी सरकार पाकिस्तान के अंदर साइबर जासूसी करा रहा है। इसमें कोई भी स्थिति काफ़ी ख़तरनाक है और इस मामले की तुरंत जांच की जरूरत है।
फिऩफि़शर, ग्रेट ब्रिटेन के गामा ग्रुप की ओर से साइबर निगरानी करने वाला वैध सॉफ़्टवेयर है। यह सॉफ़्टवेयर गोपनीय ढंग से कंप्यूटर का रिमोट कंट्रोल हासिल कर लेता है। इसके बाद ये ना केवल कंप्यूटर की सारी फ़ाइलों को चुरा लेता है। स्काइप की बातचीत को बीच में कैच कर लेता है और कीबोर्ड की हर गतिविधि का रिकॉर्ड भी रखता है। द सिटीजऩ लैब की रिपोर्ट के मुताबिक फिऩफि़शर सर्वर को पाकिस्तान सरकार का नेटवर्क पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी लिमिटेड (पीटीसीएल) संचालित करता है।
इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद कई गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों के समूह ने बोलो भाई एडवोकेसी ग्रुप के तहत इस पीटीसीएल पर लगे आरोपों की तुरंत जांच करने की मांग की है। इस जांच के नतीज़ों को भी जल्द सार्वजनिक करने की मांग की गई है।
इस समूह की ओर से कहा गया है, रिपोर्ट के आधार पर दो संभावनाएं हैं- एक तो सरकार ने ही फिऩफि़शर सर्वर को स्थापित कराया है या फिर कोई विदेशी सरकार पाकिस्तान के अंदर साइबर जासूसी करा रहा है। इसमें कोई भी स्थिति काफ़ी ख़तरनाक है और इस मामले की तुरंत जांच की जरूरत है।
इस समूह ने मांग की है कि पाकिस्तान टेलीकाम्यूनिकेशन कंपनी लिमिटेड (पीटीसीएल) को कैनेडाई आईएसपी सॉफ़्टकॉम के मामले से सीख लेनी चाहिए जिसने अपने यहां फिऩफि़शर सर्वर के नेटवर्क पाए जाने के बाद उसे मार्च, 2013 में बंद करा दिया था।

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