अमेरिकी खुफिया कार्यक्रम हेडली का पता लगाने में रहा विफल
वाशिंगटन,अमेरिका के खुफिया निगरानी कार्यक्रम की क्षमता पर सवाल उठाते हुए एक शीर्ष खोजी प्रकाशन ने यहां कहा है कि अमेरिकी खुफिया तंत्र मुंबई हमले के दोषी डेविड हेडली की गतिविधियों के बारे में पता लगाने में विफल रहा और उसे केवल तभी गिरफ्तार किया जा सका जब ब्रिटेन के खुफिया तंत्र ने उसके बारे में सूचना मुहैया कराई।
अमेरिकी अधिकारी विवादास्पद जासूसी कार्यक्रम के बचाव में हेडली के मामले को बार-बार यह कहकर सफलता बताते रहे हैं कि निगरानी संभावित आतंकी हमलों को टालने और 2008 में मुंबई में हुए हमलों के दोषी का पता लगाने में महत्वपूर्ण साबित हुई।
खोजी प्रकाशन प्रोपब्लिका ने कहा कि सरकारी खुफिया तंत्र हेडली को केवल तभी पकड़ पाया जब अमेरिका को उसके बारे में ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने सूचना दी। और यह सफलता भी सात साल बाद मिली जिनमें अमेरिकी खुफिया तंत्र हेडली को इस्लामी आतंकी नेटवर्क और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के अभियानों के लिए दुनिया में घूमने से रोक पाने में विफल रहा। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जेम्स क्लैपर और अमेरिकी साइबर कमान के मुखिया और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के निदेशक कीथ एलेक्जेंडर दावा कर चुके हैं कि हेडली को निगरानी प्रक्रिया के जरिए ही पकड़ा गया।
सीनेट खुफिया समिति की अध्यक्ष सीनेटर डियान फीनस्टीन ने भी हेडली की गिरफ्तारी को अमेरिका के इंटरनेट टैपिंग कार्यक्रम की सफलताओं में से एक बताया। पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी 51 वर्षीय हेडली की चरमपंथी गतिविधियों के बारे में उसके परिवार और सहयोगियों द्वारा संघीय एजेंटों को कई बार दी गई जानकारी के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई। प्रकाशन ने कहा कि यदि मानव स्रोतों से मिली इन सूचनाओं की गहन जांच की गई होती तो अधिकारी मुंबई हमलों को रोक सकते थे।
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