चीन ने की बड़ी नदियों को जोडऩे की शुरुआत
बीजिंग, भारत नदियों को जोडऩे की बात सोचता ही रहा, चीन ने इस काम को करना शुरू कर दिया है। उसने अपनी सबसे बड़ी नदी यांगत्जे और देश की नंबर दो पीली नदी की जलधारा को जोडऩे की पांच दशक पुरानी परियोजना का उद्घाटन कर दिया। इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब 81 अरब डॉलर [करीब चार हजार अरब रुपये है।
शिंहुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2002 में शुरू हुई दक्षिण-उत्तर जलमार्ग परिवर्तन परियोजना के पूर्वी मार्ग के पहले चरण ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। दक्षिण से उत्तर की ओर जलमार्ग परिवर्तन परियोजना के प्रांतीय निर्माण ब्यूरो के मुताबिक परियोजना के तहत शांदोंग प्रांत के वुचेंग शहर स्थित जिस दातुन जलाशय में पानी को भेजा जाना है वह परियोजना के शुरुआती स्थल यांगझाऊ शहर से 700 किमी दूर है। जिंगसू प्रांत का यांगझाऊ शहर शांदोंग के दक्षिण में स्थित है।
उम्मीद की जा रही है कि 2013 की तीसरी तिमाही तक पानी भेजना शुरू हो जाएगा। पूर्वी मार्ग की परियोजना के पहले चरण के संचालन के बाद यांगत्जे नदी से करीब डेढ़ अरब घनमीटर जल हर साल शांदोंग भेजा जाना है। इससे इस प्रांत में पानी की कमी के गंभीर संकट से निजात मिल सकेगी।
दक्षिण-उत्तर जलमार्ग परिवर्तन परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले चीनी नेता माओ जेदांग ने 1952 में की थी। करीब आधी सदी तक चली बहस के बाद चीनी कैबिनेट ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को दिसंबर, 2002 में मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद लाखों लोगों को विस्थापित किया गया था। पर्यावरणविदें ने पर्यावरण पर पडऩे वाले इसके दुष्प्रभावों को लेकर चिंता जाहिर की थी।
परियोजना के तहत यांगत्जे नदी से पूर्वी, मध्य और पश्चिमी मार्गो के जरिए प्रतिवर्ष 44.8 अरब घनमीटर पानी के मार्ग को परिवर्तित करने की योजना है। ताकि उत्तरी चीन में 2050 तक पानी की कमी से निजात मिल सके।
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