इजरायल ने पाक को दिए सैन्य उपकरण

इस्लामाबाद, इजरायल ने पाकिस्तान और अरब देशों के साथ राजनयिक संबंध न होने के बावजूद उन्हें लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होने वाले हाई टेक गेयर समेत सैन्य उपकरणों का निर्यात किया। हथियारों और सुरक्षा उपकरणों के निर्यात के लिए ब्रिटेन सरकार के परमिट संबंधी कामकाज को देखने वाले व्यापारिक, नवोन्मेषी और कौशल विभाग द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
हेरात्ज अखबार ने ब्रिटिश रिपोर्ट के हवाले से बताया कि पाकिस्तान के अलावा इजरायल ने मिस्त्र,अल्जीरिया, संयुक्त अरब अमीरात और मोरक्को को सैन्य उपकरण निर्यात किए। 2011 में पाकिस्तान को रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली, हेड अप कॉकपिट डिस्प्ले (एचयूडी), लड़ाकू विमानों के पुर्जे और एयरकाफ्ट के इंजन, प्रशिक्षु विमानों के कलपुर्जे समेत विभिन्न प्रणालियों को निर्यात करने के लिए इजरायल ब्रिटिश उपकरणों को खरीदना चाहता था। 2010 में इजरायल ने ब्रिटिश कलपुर्जो वाली इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणालियों और एचयूडी को पाकिस्तान को निर्यात करने को लेकर परमिट देने के लिए आवेदन किया था। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि इन कलपुर्जो का इस्तेमाल कहां किया जाएगा।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें से ज्यादातर जेएफ थंडर जेट में इस्तेमाल करने के लिए है। इनका निर्माण पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त रूप से किया है। ब्रिटेन का व्यापारिक, नवोन्मेषी और कौशल विभाग हथियारों, सैन्य उपकरणों या असैन्य सामान की खरीद-फरोख्त या परमिट प्रदान करने के संबंध में नियमित रिपोर्ट जारी करता है। यह विभाग सुरक्षा उपकरणों के निर्यात की निगरानी भी करता है।
जनवरी, 2008 से लेकर दिसंबर, 2012 के बीच ब्रिटिश प्रशासन ने ब्रिटिश उपकरणों के सैन्य खरीद संबंधी इजरायल के आवेदनों की पड़ताल की है। इनका इस्तेमाल इजरायली रक्षा बलों द्वारा किया जाना था या तीसरे देशों को निर्यात किए जाने वाली प्रणालियों में लगाना था। ब्रिटिश रिपोर्ट में उन देशों की सूची शामिल है, जिन्हें इजरायल सैन्य सामग्री का निर्यात करना चाहता था। पिछले पांच वर्षो में इजरायल ने जिन देशों को सैन्य सामग्री का निर्यात किया उनमें भारत, तुर्की, वियतनाम, दक्षिण कोरिया और जापान भी शामिल रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन ने इजरायल के उन सैन्य उपकरणों को हासिल करने के आवेदन को नामंजूर कर दिया था, जिन्हें भारत और रूस को निर्यात किया जाना था। इनमें भारत को एयरकाफ्ट इंजन और रूस को आप्टिकल टार्गेट ऐक्विजिशन दिया जाना शामिल था।

 

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