फारुक जैसे नेताओं की पाकिस्तान परस्ती माहौल खराब करती है
जम्मू कश्मीर के बारे में अभी तक वास्तविकता से अनभिज्ञ रहे देशवासी अब यह जानने लगे हैं कि कश्मीर की समस्या के मूल कारण क्या थे। अब यह भी कहा जाने लगा है कि राजनीतिक स्वार्थ के चलते ही जम्मू कश्मीर में समस्याएं प्रभावी होती गर्इं। भारत की जनता यह कतई नहीं चाहती थी, लेकिन पाकिस्तान परस्त मानसिकता के चलते जो लोग पाकिस्तान की भाषा बोलते दिखाई दिए, उन्हें प्रसन्न रखने के लिए राजनीतिक प्रयास किए गए। हम जानते हैं कि कश्मीर को इसी राजनीति ने अलगाव की आग में झोंकने का काम किया है। पहले जिस काम को राजनीतिक संरक्षण में अलगाववादी नेताओं द्वारा किया जाता था, आज उसी काम को हमारे कुछ राजनेता आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। फारुक अब्दुल्ला का नाम इसी कड़ी का एक उदाहरण बनकर सामने आया है।
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