पीठ के बल सुलाया तो नवजात का सिर हो जाएगा चपटा
टोरंटो,नवजात शिशुओं को मौत से बचाने के लिए पीठ के बल सुलाने का सुझाव उनके सिर के आकार को बदल सकता है। कैनेडा में हाल ही में कराए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि दो महीने के लगभग 50 फीसदी शिशुओं के सिर पीठ के बल सुलाने से चपटे (पोजिशनल प्लाजियोसेफली) हो जाते हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, अमेरिका की पत्रिका पैडिएट्रिक्स में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए कैनेडा के केलगरी शहर मेंएक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए आए सात से 12 सप्ताह के शिशुओं में पोजिशनल प्लाजियोसेफली के लक्षण ढूंढे गए।
कैनेडा के माउंट रायल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 37 सप्ताह से अधिक समय में जन्म लिए 440 बचों का अध्ययन किया। इनमें से 46 फीसदी से अधिक शिशुओं का सिर चपटा पाया गया। लगभग 63 फीसदी का सिर दाईं तरफ चपटा था और 78 फीसदी शिशु के सिर का यह हिस्सा बेहद मुलायम था।
शोधकर्ताओं ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के 1992 में दिए गए सुझाव के मुताबिक शिशुओं को पीठ के बल सुलाया जाता है जिससे शिशुओं की मृत्यु दर में आश्चर्यजनक गिरावट आई है। इसके परिणामस्वरूप हालांकि, इनमें पोजिशनल प्लाजियोसेफली बढ़ गई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस तरह की घटना में वृद्धि ने यह संकेत दिया है कि बचों के मातापिता को शुरुआत में ही इससे बचाव के बारे में शिक्षित किए जाने की जरूरत है। चपटा सिर सामान्यत: खतरनाक नहीं होता। ऐसे बचों में विकास थोड़ा धीमा होता है तथा चपटापन भी 18 महीने बाद ठीक हो जाता है।
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