अपनी जन्मभूमि पर रहने के लिए करनी पड़ रही है लडाई
टोरंटो
भारतवंशी माता-पिता से कैनेडा में पैदा हुए एक व्यक्ति को अपनी जन्मभूमि पर रहने का अधिकार पाने की लड़ाई लडऩी पड़ रही है। दीपन बुदलाकोटी (23) के मामले ने कैनेडा की मीडिया का ध्यान खींचा है। मीडिया के एक धड़े ने उसकी त्रासदी को काफकाएस्क के जैसा करार दिया है।
बुदलाकोटी का जन्म 19 अक्टूबर, 1989 को हुआ था। उसके माता-पिता ओटावा स्थित भारतीय उचायोग में सहायक कर्मचारी के रूप में काम करने के लिए आए थे। उसके पास कैनेडा के ओंटारियो प्रांत द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र है, लेकिन उसका पासपोर्ट कैनेडा के अधिकारियों ने रद्द कर दिया है। कैनेडा के अधिकारी उसे भारत भेजना चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नागरिकता एवं आव्रजन कैनेडा का कहना है कि उसके पासपोर्ट आवेदन में किया गया नागरिकता का दावा गलत था और वह हथियारों और मादक पदार्थो की तस्करी के मामले में दोषी ठहराया गया और जेल की सजा भुगत चुका है। उसके पिता बाद में ओटावा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे और उसके बाद में कैनेडा के नागरिक बन गए।
उनका बेटा उस समय नाबालिग और फिर किशोर के रूप में माना गया और उसे कैनेडा का पासपोर्ट मिला। माता-पिता ने कभी भी उसके लिए नागरिकता का आवेदन नहीं दिया। अपने अपराध के लए बुदलाकोटी तीन साल की सजा काट चुका है और उसका पासपोर्ट रद्द हो चुका है। कनाडाई बॉर्डर सर्विस एजेंसी (सीबीएसए) भारत को यह समझाने के प्रयास में जुटी है कि वह उसे वापस ले ले।
भारत ने कैनेडा की यह मांग ठुकरा दी है। भारतीय उचायोग में अधिकारी कपिल शर्मा ने कहा कि बुदलाकोटी भारतीय नागरिक नहीं है।
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