कैनेडा अभी भी नाफ्टा वार्ता के लिए प्रयासरत जबकि ट्रंप दिखा रहे हैं उदासीनता
औटवा। सूत्रों के अनुसार नाफ्टा वार्ता के लिए अभी भी केंद्र सरकार अपना पूरा प्रयास करने में जुटी हैं, परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अमेरिकी मध्यकाल चुनावों तक इस डील के बारे में सोच नहीं सकते। सरकारी अधिकारी ने बताया कि अभी फिलहाल में ही मैक्सिको के राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुए हैं, और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के कार्यभार संभालने तक कोई नई वार्ता नहीं हो सकती, औटवा जल्द ही इस विषय पर वार्ता का आयोजन कर सकता हैं, जबकि ट्रंप ने यह स्पष्ट कह दिया हैं कि वह नवम्बर से पूर्व किसी भी नई डील पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। जानकारों के अनुसार यह भी माना जा रहा हैं कि यदि नॉर्थ अमेरिका फ्री ट्रेड अनुबंध हो जाता हैं तो इससे काफी हद तक कैनेडा और अमेरिका के टैरिफ विवाद का भी हल हो सकता हैं और सीमा संबंधी व्यापार को भी प्रगति मिलेगी। विदेश मंत्री क्रिस्टीया फ्रीलैंड ने कहा कि वह अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधी रॉबर्ट लाईथीजर से छ: बार मिल चुकी हैं, और उन्हें इस बात की पूरी आशा हैं कि इस ग्रीष्म तक नाफ्टा वार्ता में कोई न कोई बड़ी उपलब्धि अवश्य होगी, जिसका लाभ दोनों देशों को मिलेगा। कैनेडा इस वार्ता के सफल होने के लिए पूर्ण रुप से प्रयासों में लगा हुआ हैं, परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उदासीनता से इस वार्ता को नुकसान भी पहुंच सकता हैं। ट्रुडो ने भी अपने संदेश में कहा कि वह मैक्सिको के नए राष्ट्रपति का अपनी टीम में स्वागत करना चाहेंगे, और यह माना कि उनके आने से नाफ्टा वार्ता को और अधिक मजबूती मिल सकेगी, अन्य देशों के साथ सहयोग की भावना के साथ मैक्सिको के नए राष्ट्रपति इस टीम कार्य को और अधिक आगें लेकर जाएंगे जिससे अमेरिकी मंसूबों पर पानी फिर जाएं, अमेरिका के साथ विवादों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वह जल्द ही मैक्सिको के नए राष्ट्रपति से भेंटवार्ता का आयोजन करेंगे और आगामी स्थितियों पर गहन चर्चा भी करेंगे, इससे किसी भी प्रकार से इस चर्चा में कोई अवरोध उत्पन्न हो, वह कभी नहीं चाहेंगे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि मैक्सिकों के नए राष्ट्रपति के चयन से भी इस वार्ता का रुख बदल सकता हैं, अपने शपथ समारोह में मैक्सिको के राष्ट्रपति लोपेज ने भी इस वार्ता में समझौते को सर्वोपरि बताया और माना कि यदि यह वार्ता सफल होती हैं तो इस वार्ता में शामिल देशों को व्यापार में राहत मिलेगी और उनके औद्योगिक विकास को और अधिक गति मिल सकेगी।
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