पिंकी की स्माइल से जगी ब्रिटेन की सोई हुई किस्मत
नई दिल्ली. ब्रिटेन के उचायुक्त सर जेम्स बेवन ने जब पिंकी सोनकर के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया था तो उन्होंने कहा था कि यह भारतीय लडक़ी विंबलडन में ब्रिटेन के लिए भाग्यशाली साबित होगी। बेवन ने हालांकि तब यह नहीं सोचा था कि उनके शब्द सही साबित होंगे। ग्यारह साल की इस लडक़ी ने विंबलडन के फाइनल में सेंटर कोर्ट पर टॉस करते हुए अपनी मुस्कुराहट बिखेरी और वह एंडी मरे और इससे भी अधिक ब्रिटेन के लिए भाग्यशाली रही जिसे 77 साल के बाद घरेलू पुरुष एकल चैम्पियन मिला।
दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी मरे ने फाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी और शीर्ष वरीय नोवाक जोकोविच को सीधे सेटों में हराकर खिताब जीता जिससे सात महीने के सातवें मिनट ब्रिटेन का सात दशक से भी अधिक समय का इंतजार खत्म हुआ।
बेवन ने दो जुलाई को कहा था, पिंकी की मुस्कुराहट लंदन को रौशन करेगी। और मुझे लगता है कि इस साल विंबलडन में वह ब्रिटेन के लिए भाग्यशाली साबित होंगी। पिछले कई दशक से ब्रिटेन के किसी खिलाड़ी ने पुरुष एकल खिताब नहीं जीता है लेकिन निश्चित तौर पर पिंकी हमारे लिए भाग्यशाली साबित होगी। ब्रिटेन को पिछला घरेलू विंबलडन चैम्पियन 1936 में फ्रेड पैरी के रूप में मिला था जिन्होंने लगातार तीन बार आल इंग्लैंड क्लब पर खिताब जीता।
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