आयरलैंड में सीमित मामलों में गर्भपात को मंजूरी
डब्लिन। आयरलैंड की संसद ने पहली बार कुछ सीमित मामलों में गर्भपात की अनुमति संबंधी विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया है। पिछले वर्ष गर्भपात की अनुमति न मिलने की वजह से भारतीय मूल की दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार की मौत हो गई थी। इसके बाद कैथोलिक विचारधारा वाले इस देश को अपने गर्भपात विरोधी कानून की समीक्षा करने पर मजबूर होना पड़ा था। कई लोगों ने प्रधानमंत्री को खून से लिखे पत्र भी भेजे थे, जिसमें गर्भपात का समर्थन किया गया था।
संसद में चली लंबी चर्चा के बाद गुरुवार देर रात विधेयक को 31 के मुकाबले 127 मतों से पारित किया गया। विधेयक पारित होने के बाद संसद तालियों की आवाज से गूंज उठा। अब विधेयक को मंजूरी के लिए ऊपरी सदन में पेश किया जाएगा, जहां सत्ता पक्ष को बहुमत हासिल है। प्रधानमंत्री एंडा केनी और उनकी गठबंधन सरकार ने गर्भावस्था में जीवन की सुरक्षा के आशय वाला विधेयक संसद में पेश किया था। इसमें केवल उन्हीं मामलों में गर्भपात की अनुमति दी गई है, जहां गर्भ की वजह से मां के जीवन को खतरा हो। गर्भपात विरोधी समूहों ने नए कानून को अदालत में चुनौती देने की चेतावनी दी है।
कैथोलिक मान्यताओं वाला यह देश इस कानून को लेकर बंट गया है। विरोधियों का कहना है कि इस नए कानून से गर्भपात के मामले बढ़ सकते हैं। दूसरों का कहना है कि इस कानून का दायरा बेहद सीमित है। इसके तहत दुष्कर्म या भ्रूण के विकृत हो जाने के मामले में गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई है। गर्भपात विरोधी समूहों का कहना है कि इससे देश में अजन्मे बच्चे की हत्या का अधिकार मिल जाएगा। आयरिश हाई कोर्ट ने गुरुवार को नए कानून के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया। विधेयक में गर्भपात के लिए ब्रिटेन जाने पर रोक नहीं लगाई गई है।
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