ओंटेरियो के जंगलों में लगी आग पर्यावरण के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक

आग के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए देना होगा दीर्घकालीन टोल
टोरंटो। देश के आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार ओंटेरियो के जंगलों में लगी आग को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं, इस कारण देश की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालीन टोल का बोझ और अधिक बढ़ गया हैं, इसका मुख्य कारण पर्यावरण परिवर्तन बताया जा रहा हैं, जहां इस समय तक कैनेडा में ग्रीष्म ऋतु का अंत हो जाना चाहिए था, वहीं भीषण गर्म हवाएं और शुष्क वातावरण बना हुआ हैं, जिससे यह आग नियंत्रण होने के स्थान पर और अधिक बढ़ती जा रही हैं, गत रविवार को जारी रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया कि 127 स्थानों पर आग फैल चुकी हैं, जिसमें से कई स्थानों पर आग अनियंत्रित रुप से फैल रही हैं और यदि जल्द ही इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इसका बुरा प्रभाव केवल वन्य जनजीवन पर ही नहीं, अपितु देश के जंगलों के निकटवर्ती ईलाकों में रहने वाले निवासियों पर भी पड़ेगा, देश में सांस के रोगियों की संख्या में भारी ईजाफा हो सकता हैं और जिसे भविष्य में और अधिक गर्मी बढ़ने का उत्तरदायित्व भी माना जा रहा हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के क्लाईमेट एडेपटेशन पर इनटेक्ट सेंटर के प्रमुख ब्लेयर फेल्टमेट ने कहा कि पर्यावरण बदलाव के दुष्प्रभाव का प्रत्यक्ष उदाहरण देखने के लिए यह अग्नि कांड देख सकते हैं और इसके कारण होने वाले प्रभावों पर चर्चा कर सकते हैं। पैरी साउन्ड 33 में लगी आग 113 वर्ग किलोमीटर में फैल चुकी हैं, जिसपर यदि जल्द ही नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो यह वन्य जनजीवन के लिए भयावह बन जाएंगी, इस आग के फैलने का मुख्य कारण गर्म हवाओं का तेज से चलना बताया जा रहा हैं। मंत्रालय के अनुसार आग पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए कई दलों को कार्य पर लगा दिया गया हैं, मौसम विभाग के अनुसार यदि गर्म हवाएं इसी प्रकार चलती रही, तो वातावरण में ह्युमनिटी और अधिक बढ़ जाएंगी, परंतु इस आग पर नियंत्रण करने के लिए 10 से 15 मिलीमीटर की रफ्तार से कृत्रिम वर्षा करवाने पर विचार किया जा रहा हैं। गुलेफ यूनिवर्सिटी के प्रौफेसर और अर्थशास्त्री मैरिट टुरेटस्की ने कहा कि सबसे पहले जंगल की परिधि में रहने वाले लोगों के जीवन का बचाने का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए, इसमें लोगों के साथ साथ वन्य जानवरों को भी बचाने का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। दुर्भाग्य की बात यह हैं कि इस आग में विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जैविक तेल बनाने के पौधों का विनाश हो गया हैं, अब यहां केवल राख और पत्थर रह गए हैं जो भविष्य में भारी तबाही का सूचक हैं, इससे न केवल आगामी वर्षों में गर्मी बढ़ेगी, बल्कि देश में और अधिक मौसम बिगड़ने के कारणों की उत्पत्ति भी होगी। पिछले कुछ दशकों में देश के पर्यावरण में इतना अधिक बदलाव उचित नहीं और यदि अभी भी जागरुकता नहीं फैलाई गई तो इसके भयंकर दुष्परिणामों के लिए तैयार रहना होगा।
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