आगामी उपचुनावों के लिए पार्टियों ने कसी कमर
– आगामी माह में होगें तीन उपचुनाव, लोगों को परिणाम की उत्सुकता अधिक
– परिणामों का प्रभाव पड़ेगा आगामी अक्टूबर में होने वाले देश के आम चुनावों के नतीजों पर
टोरंटो। यह वर्ष कैनेडा में चुनावी वर्ष के रुप में व्यतीत होगा, जहां इस वर्ष अक्टूबर में आम केंद्रीय चुनाव होने सुनिश्चित हैं वहीं आगामी फरवरी में तीन उपचुनावों से अभी से राजनीति गर्म हो रही हैं। गौरतलब हैं कि अक्टूबर में जनता प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो का भविष्य सुनिश्चित करेगी कि उन्हें पुन: प्रधानमंत्री बनना हैं या चार साल के कार्यकाल के पश्चात वह पीएमओ खाली कर दें। इन बातों को आगामी उपचुनावों के नतीजों से भी जोड़ा जा रहा हैं। जानकारों का मानना हैं कि फरवरी में होने वाले उपचुनावों का प्रभाव अवश्य ही आगामी चुनावों पर पड़ सकते हैं, लोगों की प्रक्रिया से यह ज्ञात लगाया जा सकता हैं कि अभी फिलहाल कौन सी पार्टी उनके लिए उत्तम हैं, जिन्हें वह देश की बागड़ोर संभालने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। फरवरी में होने वाले उपचुनाव ओंटेरियो के यॉर्क-सीमकॉई, क्यूबेक के आउटरेमॉन्ट और ब्रिटीश कोलम्बिया के बर्नबाय-दक्षिण में होने सुनिश्चित हुए हैं। अब देखना यह हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है? ज्ञात हो कि उपचुनावों ने कभी भी देश में कोई इतिहास नहीं बनाया और न ही इनका इतना अधिक महत्व समझा गया, परंतु इस बार यह चुनावी वर्ष में होने के कारण इनका महत्व बहुत अधिक बढ़ गया हैं। इस बार जैसे एनडीपी की लहर पुन: दौड़ रही हैं तो लोगो को उम्मीद हो रही हैं कि कहीं देश में ओरेंज परचम न लहरा जाएं, इसके लिए भूतकाल के कई उदाहरण भी मौजूद हैं जब लोगों को जिस उम्मीदवार की प्रधानमंत्री बनने की आशा सबसे अधिक थी, उसके स्थान पर कोई अन्य प्रतिद्वंदी उस पद पर आसीन हुआ। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2007 से आउटरेमॉन्ट लिबरलस की सबसे सुरक्षित सीट रही हैं, उनका उम्मीदवार इस सीट से सदैव ही जीतता आया हैं, इसलिए इस बार भी लिबरल नेता स्टीफेन डायन ने इस अवसर को अपने हाथ में उठाने का निश्चय किया हैं, ज्ञात हो कि लिबरलस को एनडीपी से कड़ी चुनौती मिल सकती हैं, जिसके लिए उन्हें सतर्क रहना होगा, एनडीपी के पास अभी भी उनके स्टार प्रचारक टॉम मलकेयर मौजूद हैं, इसलिए परिवर्तन के कारण इस बार इतिहास बना सकते हैं। लिबरलस के पास भी स्टार प्रचारकों में केवल प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो हैं जो प्रत्येक क्षेत्र में अपना वर्चस्व नहीं स्थापित कर सकते इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी तभी आगामी उपचुनावों में लिबरलस कोई एतिहासिक जीत हासिल कर सकेगी। अब आने वाला माह ही इन चुनावों की गतिविधियों को तय कर सकेगा, कौन-सा उम्मीदवार इतिहास बनाएगा और किसे जनता वापस लौटा देगी।
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