जस्टिन ट्रुडो के शीर्ष सलाहकार का इस्तीफा

औटवा। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के शीर्ष सलाहकार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इन्कार किया कि उन्होंने एक प्रमुख कैनेडाई इंजीनियरिंग कंपनी के खिलाफ मुकदमा को लेकर देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल पर दबाव डाला था। प्रधान सचिव गेराल्ड बट्स, ट्रुडो के करीबी सलाहकार और विश्वविद्यालय के दिनों से ही उनके सबसे अच्छे दोस्त रहे हैं। बट्स ने सोमवार को एक बयान जारी किया कि उन्होंने या ट्रुडो के कार्यालय में किसी अन्य व्यक्ति ने जोडी विल्सन-रेबॉल्ड पर दबाव नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि वह अपने बचाव में इस्तीफा देने जा रहे हैं। प्रख्यात समाचार के अनुसार  ट्रुडो या उनके किसी स्टाफकर्मी ने विल्सन-रेबॉल्ड पर दबाव डाला था कि वह लीबिया में सरकारी ठेकों में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मॉन्ट्रियल की कंपनी एसएनसी-लवलिन को आपराधिक मुकदमे से बचाने की कोशिश करें। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो और उनकी लिबरल पार्टी की चुनौतियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं, जहां कुछ माह पश्चात केंद्रीय चुनाव आने वाले हैं वहीं सरकार के कर्मियों के ऊपर एक के बाद एक भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम एसएनसी-लवलिन को बचाने का आरोप लगाया जा रहा हैं, जिसके लिए गत दिनों अटॉर्नी जनरल विल्सन-रेबॉल्ड ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अब माना जा रहा हैं कि स्वयं को बचाने के लिए ट्रुडो के शीर्ष सलाहकार गेराल्ड बट्स ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।  बट्स ने भी अपने इस्तीफा का प्रमुख कारण इस प्रकार के आरोपों से बचना बताया उन्होंने कहा कि उनके कार्यों को धूमिल होने से बचाने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया, यदि वह अभी भी सरकार से जुड़े रहते तो अवश्य ही उनका नाम भी इस भ्रष्टाचार में खींचा जाता और उनका पूरा भविष्य खराब हो जाता इसलिए उन्होंने इस पद से इस्तीफा देना ही उचित समझा। परंतु उन्होंने इस बात को स्पष्ट तौर पर कहा कि विपक्ष का यह कहना कि वह और स्टाफ या अटॉर्नी जनरल किसी दबाव में यह कार्य कर रहे हैं और एसएनसी-लवलिन को बचाने का प्रयास कर रही हैं, पूर्णत: असत्य हैं। गौरतलब हैं कि पिछले दिनों अटॉर्नी जनरल के इस्तीफे पर प्रधानमंत्री ने बहुत अधिक आश्चर्य जताया था और उन्होंने माना था कि विलसन-रेबॉल्ड ने किस कारण से अपने पद से इस्तीफा दिया इसकी उन्हें तनिक भी जानकारी नहीं थी। जिसके बारे में वह अधिक चर्चा भी नहीं कर सके। उन्होंने एलएनसी-लवलिन की पारदर्शी जांच के लिए ही उन्हें नियुक्त किया था, परंतु उन्हें ऐसा लगा कि कंपनी को बचाने के लिए उन्हें नियुक्त किया गया हैं जोकि गलत हैं।
वहीं दूसरी ओर कंजरवेटिव नेता एंड्रू शीर का मानना हैं कि इन इस्तीफों से यह स्पष्ट हो गया कि इस विषय में सरकार का हस्तक्षेप कहीं न कहीं अवश्य हैं जिसकी स्पष्ट जांच ही मामले को सुलझा सकती हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री इस कार्य में फंसे कुछ लोगों को बचाना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने यह सब कार्यवाही इस प्रकार से कार्यन्वित की हैं।
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