उपचुनावों की जीत के पश्चात सिंह बनाएंगे ट्रुडो पर अपना दबाव
औटवा। जगमीत सिंह अपनी जीत का उत्साह मना रहे हैं, इसके अंतर्गत सिंह ने अपने साक्षात्कार में बताया कि चुनावी परिणामों की घोषणा के पश्चात उन्होंने एक डांस पार्टी का आयोजन भी किया जिसमें वे जमकर थिरके, उन्होंने कहा कि अंतत: उन्हें हाऊस ऑफ कोमनस में प्रवेश मिल ही गया। अक्टूबर 2017 में टॉम मलकेयर के पद छोड़ने के पश्चात एनडीपी में नेतृत्व की समस्या उत्पन्न हो गई थी, जिसे जगमीत सिंह ने संभाला और लगभग दो वर्ष की कड़ी मेहनत के पश्चात जगमीत सिंह ने यह उपाधि प्राप्त की। सिंह ने कमान संभालते ही पार्टी सदस्यों को अक्टूबर के चुनावों की तैयारी के लिए प्रोत्साहित करना आरंभ कर दिया, उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि हमें सीमित धन में ही अगले आठ माह में अपनी बात लोगों तक पहुंचानी होगी जिससे वे हमें चुने और देश की सेवा का एक मौका अवश्य दें, उन्होंने यह भी कहा कि इस समय के अंदर हमें प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो और कंजरवेटिव प्रमुख एंड्रू शीर के प्रभाव को कम करके हाऊस ऑफ कोमनस में अपना वर्चस्व स्थापित करना होगा। हमारे पास केवल अगले आठ माह हैं जब हम अपनी बात लोगों के समक्ष रख सकते हैं, लिबरल सरकार पर दबाव बनाना हमारा मुख्य उद्देश्य रहेगा, हाऊस ऑफ कोमनस में हमारा मुख्य प्रश्न सरकार से यहीं रहेगा कि क्या लिबरल सरकार अपने मुख्य मित्रों जैसे एसएनसी-लेवलीन आदि के सहयोग का कार्य करते हैं या साधारण जनता के बारे में भी कुछ सोच रहे हैं? उन्होंने अपनी जीत का श्रेय का लोगों को दिया और कहा कि अब धीरे-धीरे लोगों को समझ आ रहा हैं कि कौन सी पार्टी उन्हें उचित बदलाव की ओर ले जा सकती है, इसलिए लोगों ने उन्हें चुना। अपनी जीत पर सिंह को आगे के लिए भी विश्वास जगा हैं कि वह अवश्य ही केंद्रीय चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। ज्ञात हो कि बुरनाबाय दक्षिण में सिंह को अन्य पार्टियों से 38 प्रतिशत अधिक मत मिलें, जबकि उनके प्रतिद्वंदी लिबरल उम्मीदवार को 26 प्रतिशत मत मिले और कंजरवेटिव उम्मीदवार को 22 प्रतिशत से ही संतोष करना पड़ा। सिंह इस जीत से बहुत अधिक प्रसन्न है, उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि यद्यपि मेरे सामने अभी बहुत सी बड़ी चुनौतियां शेष हैं, परंतु यह जीत उन चुनौतियों को पार करने की पहली सीढ़ी हैं जिसे मैनें और मेरे समर्थकों ने सफलता के साथ पार कर ली हैं। हमने इतिहास बनाया हैं, जिस जीत पर किसी को भी आशा तक नहीं थी वही प्राप्त की हैं। लोगों ने मुझ पर विश्वास जताया इससे यह सिद्ध होता हैं कि कहीं न कहीं उन्हें वर्तमान सत्ताधारी सरकार पर संदेह हैं और वे भी बदलाव चाहते हैं। अब यदि कोई बच्चा कहता हैं कि उसे बड़े होकर प्रधानमंत्री बनना हैं तो हम कह सकते हैं अवश्य, क्योंकि मेहनत से हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता हैं।
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