अपनी गलत जानकारियों को छुपा रहे हैं शीर : बरदीश चैगर

– लिबरल सरकार के गर्वमेंट हाऊस नेता बरदीश चैगर ने शीर पर आरोप लगाते हुए कहा कि गत दिनों शीर ने वैबसाईट पर अपनी प्रसारित जानकारियों में फेर-बदल करके लोगों को भ्रमित करने का कार्य किया। 
औटवा। एसएनसी-लेवलिन विवाद दिन-प्रतिदिन उलझता ही जा रहा हैं, इस विवाद में अब एक नई कड़ी और जुड़ गई हैं जिसके अंतर्गत पिछले दिनों प्रमुख विपक्षी पार्टी के प्रमुख एंड्रू शीर ने प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो पर जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। जिसके बचाव में गर्वमेंट हाऊस नेता बरदीश चैगन ने हाऊस ऑफ कोमनस में अपना स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि शीर प्रधानमंत्री पर मिथ्या आरोप लगा रहे हैं, इसके लिए उन्होंने पिछले दिनों अपनी वैबसाईट पर गलत जानकारियां भी प्रसारित की, जिसका प्रमाण मांगने पर उन्होंने इसे गत 31 मार्च को बदलाव करते हुए अपने दोष को भी छुपाया, जिसके लिए उनकी वैबसाईट पर जारी टिप्पणी की जांच की जा सकती हैं। इस विवाद की पुन: जांच के लिए शीर मांग कर रहे हैं और इसमें प्रधानमंत्री से भी उनका स्पष्टीकरण मांगा जा रहा हैं, जिसके विरोध में चैगर ने कहा कि इस प्रकार प्रधानमंत्री पर बिना किसी ठोस प्रमाण के ऊंगली उठाना उचित नहीं और उन्हें मुकदमें की धमकी देने के आरोप में शीर पर मानहानि केस भी लगाया जा सकता हैं। आगामी चुनावों में अपनी पार्टी के प्रचार हेतु शीर इस प्रकार की राजनीति खेल रहे हैं, जिसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री से क्षमा मांगनी चाहिए अन्यथा लिबरलस उनपर कार्यवाही कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि शीर यदि अपनी बात पर अडीग होते तो प्रधानमंत्री को अस्थाई नोटिस नहीं देते और न ही इसके लिए पहले केवल धमकी भरे शब्दों का उपयोग करते, शीर द्वारा बार-बार लिबरलस को उनके गैर कानूनी कार्यों का ताना देना भी निदंनीय हैं, इस विवाद के उपरांत कमेटी की जांच रिपोर्ट सामने आ गई हैं और दोषियों को इसके लिए उचित दंड का भी प्रावधान सुनिश्चित कर दिया हैं, परंतु शीर इसके लिए अभी तक नहीं मान रहे कि उन्होंने अपनी बात में किसी भी प्रकार का बदलाव किया हैं। शीर ने अपने ट्विटर पोस्ट में कहा कि उन्होंने जो बात सबसे पहले कहीं थी, वह उसी बात पर अड़ीग हैं। जबकि चैगर के अनुसार शीर ने अपने संदेश में गत 31 मार्च को बदलाव किया था। जबकि इससे पूर्व वह प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे थे कि उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई बैठक नहीं की थी और इस विवाद को हल करने के लिए जॉडी विलसन-रेबॉल्ड, प्रीवी काउन्सिल और माईकल वरनिक के मध्य किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं की, वास्तव में यह बैठक पिछले वर्ष शीतकालीन अवकाश से एक दिन पहले हुई थी और उसके अगले दिन अवकाश पड़ गए और जब सत्र आरंभ हुआ तो विलसन-रेबॉल्ड ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी जिससे इस बारे में कोई भी समाचार प्रकाशित नहीं हो पाया और इसकी जानकारी आम लोगों को नहीं मिल पाई और इसका लाभ उठाकर शीर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।
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