शरणार्थियों के लंबित पैतृक संपत्ति मामलों को जल्द ही सुलझाया जाएंगा : प्रवासी अधिकारी
औटवा। देश में शरणार्थियों के पैतृक संपत्ति मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें कमी लाने के लिए प्रवासी मंत्री अहमद हुसैन ने घोषणा की हैं कि इन मामलों को आपात स्थिति में सुलझाया जाएगा, मौजूदा आंकड़ों के अनुसार अभी भी देश में कुल मिलाकर 32,000 ऐसे दावे हैं जिनपर सुनवाई चल रही हैं और इनके फैसले आने शेष हैं। सरकार का भी मानना है कि इन मामलों को जल्द ही सुलझाया जाएं जिससे समय व धन दोनों की बचत हो सके और पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय मिलें। 32,000 केसों की ये सूची वर्ष 2012 के पश्चात से चले आ रहे केसों की सुनवाई के आधार पर तैयार की गई हैं। सरकार के अनुसार इन केसों को सुलझाने की अधिकतम समय सीमा 60 दिन होगी, जिसके अंदर लंबित चल रहे मामलों को जल्द ही हल किया जाएं। इन केसों की सुनवाई के लिए विशेष टास्क फोर्स की भी नियुक्ति की जाएंगी जो इससे संबंधित सभी मामलों की सुनवाई में हिस्सा लेंगे और उचित कार्यवाही में अपना पूर्ण सहयोग देंगे। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एक प्रतिशत मामलों को रद्द कर दिया गया जबकि शेष सभी लंबित मामलों पर कार्यवाही चल रही हैं और उनके निर्णय आने शेष हैं। सूत्रों के अनुसार इन मामलों पर फैसला जुलाई में आ जाएगा, हुसैन ने पत्रकारों को बताया कि इस योजना में उन सभी लोगों के केसों को शामिल किया जाएगा जो पिछले कई वर्षों से अपने पैतृक संपत्ति मामलों को सुलझाने के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं और उन्हें उचित न्याय मिलेगा। प्रवासी अधिकारियों को मानना है कि इस प्रस्ताव का लाभ उन सभी शरणार्थियों को होगा जो वर्षों से इस प्रकार के मामलों पर भटक रहे थे और जल्द ही फैसला होने से उनकी उम्मीद देश की न्याय व्यवस्था के प्रति और अधिक हो जाएंगी। इसके लिए उन्हें बस अपने वास्तविक साक्ष्य प्रस्तुत करने होगें। देश के इतिहास में पहली बार इस प्रकार का कोई निर्णय लिया गया जिसके अंतर्गत किसी भी कानूनी फैसले को 60 दिन के अंदर प्रस्तुत करना होगा और इन निर्णयों के लिए पुलिस को सीमित समयावधि में संपत्ति के वास्तविक कारणों को ढूंढना होगा और वे इसी समय के अंतर्गत उन्हें दावा करने वाले के साक्ष्यों के आधार की वास्तविकता को भी जांचना होगा।
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