आदिवासी महिलाओं, लड़कियों की हत्या व हिंसा अब और नहीं : पीएम
गाटीन्यू, क्यूबेक। प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने अपनी चिंता को व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले वर्षों में कैनेडियन आदिवासी जातियों की महिलाओं व लड़कियों पर होने वाली हिंसा को लेकर देश में एक भय का वातावरण व्याप्त हो गया था, जिसे केंद्र सरकार ने अपने प्रयासों से काफी हद तक कम करने का प्रयास किया हैं, ज्ञात हो कि सरकार ने सभी प्रकार के ऐसे केसों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुलझाने की घोषणा की, जिससे पीड़िता के परिवारों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। एक उदाहरण में 19 वर्षीय लायन की कहानी भी बताई गई, जिसकी बहन गैरालडाइन गौथेयर आज भी उसे खोने का गम भुला नहीं पाई उसने बताया कि लायन की मृत्यु अल्प आयु में हो गई थी, जिसके पीछे जाति हिंसा बताया जा रहा था, परंतु जांच उचित प्रकार से नहीं होने के कारण उसे न्याय नहीं मिल सका, आज भी देश में जातिगत भेदभाव दूर करना एक कठिन कार्य हैं, जिसके लिए केंद्र सरकार अनेक प्रयासों में लगी हुई हैं। जिससे देश में शांति का माहौल बन सके। गौरतलब है कि पुलिस सूत्रों के अनुसार सोमवार को आदिवासी महिलाओं और लड़कियों की निर्मम हत्या और गुमशुदगी की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तो संबंधित परिवारों के लिए यह क्षण भावुकता से भरा था, ”जीनोसाईड” नामक जांच रिपोर्ट के आने के पश्चात सभी को अपने महिला परिजनों की याद सताने लगी। गटीन्यू में पेश की गई इस रिपोर्ट में वह क्षण बहुत अधिक भावुकता भरा हो गया जब अधिकारियों ने मृतक महिलाओं व लड़कियों के नाम पुकारें। अपनी रिपोर्ट में मुख्य आयुक्त मारीओन बुलर ने कहा कि हमारे पास बहुत कम समय था जिसमें हमें सही रिपोर्ट तैयार करनी थी और मामले को पूर्ण रुप से सभी के सामने प्रस्तुत करना था। ये रिपोर्ट जातिय हिंसा का एक जीता-जागता सबूत है जिसमें इतनी स्त्रियों की निर्मम हत्या या उनके लापता होने की संभावना जताई गई। इस सत्य को स्वीकार करना परिवार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हैं, परंतु उन्हें ऐसा करना होगा। उन्होनें कहा कि ये रिपोर्ट के वल कैनेडियन आदिवासी परिवारों के लिए ही नहीं अपितु दुनिया की अन्य पिछड़ी जातियों के लिए भी एक सबक होना चाहिए, जिससे वे जाति के नाम पर अपने घरों में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों को रोक सके और इससे महिलाओं की हत्याएं और उनके उत्पीड़न के मामलों में कमी आ सके। आज भी कई मामलों में इस प्रकार की घटनाओं में कोई भी व्यक्ति उनकी सहायता के लिए नहीं खड़ा नजर आया जिससे घबराकर पीड़ित महिलाओं ने या तो अपना जीवन समाप्त कर लिया या फिर अपने परिवार को छोड़कर वे कहीं दूर चली गई। केंद्र सरकार द्वारा इन मामलों पर नियंत्रण हेतु इस प्रकार की फास्ट ट्रैक रिपोर्ट से सभी को राहत मिलने की संभावना जताई जा रही हैं।
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