एक्सपेरिमेंट में है मजा अरशद वारसी
मुंबई। जॉली एलएलबी में उन्होंने दी कानूनी सलाह, पर अब वह बन गए हैं लव गुरू। निर्देशक अमृत सागर की फिल्म रब्बा मैं क्या करूं में अरशद वारसी सिखाएंगे प्यार में सफलता हासिल करने के तरीके। उनसे बातचीत के अंश-
-अमृत मेरे अछे दोस्त हैं। हम बचपन से एक दूसरे को जानते हैं। जब उन्होंने मुझे ये फिल्म ऑफर की तो मेरे पास मना करने की कोई वजह नहीं थी। मैंने जीवन में जो कुछ भी अचीव किया है वह अपने दोस्तों की वजह से है। इस फिल्म में आकाश चोपड़ा एक ऐसे शख्स की भूमिका निभा रहे हैं जो दिल की सुनता है, जबकि मैं उसे प्यार के मामले में दिमाग से चलना सिखाता हूं। मतलब उसके प्यार के पास और फेल होने की सारी जिम्मेदारी मेरे कंधे पर है।
-शादी एक लंबी प्रक्रिया है। दो लोग रिलेशन में हैं तो बोरियत मत आने दीजिए संबंधों में। कुछ न कुछ हमेशा रोचक करते रहें। जब आपको लगे कि पत्नी को आपकी आवश्यकता है तो काम से तुरंत ही ऑफ ले लीजिए। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि उनको हमेशा घुमाने ले जाइए लेकिन कोशिश कीजिए अगर वे हाउस वाइफ हैं तो बोर न हों। आजकल आदमी अपने काम को परिवार से अधिक तरजीह देने लगता है लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि किचन का काम दुनिया का सबसे बड़ा अनपेड काम है।
-शूटिंग प्रारंभ हो गई है। यह मेरी अब तक की सबसे प्रयोगधर्मी और खर्चीली फिल्म होगी। खर्चीली इस वजह से कि इसे मैं ही प्रोड्यूस कर रहा हूं। फिल्म की स्टोरीलाइन बहुत ही रोचक है। आपने अब तक ऐसी कहानी नहीं सुनी होगी। इसमें कुछ डकैत चंबल में जाकर गाइड बन जाते हैं और सैलानियों को चंबल भ्रमण कराते हैं। इस फिल्म के लिए मैंने वजन भी कम किया है। फिल्म का एक शेड्यूल खत्म हो गया है औरदूसरा मैं जल्द ही प्रारंभ करने वाला हूं।
-जॉली एलएलबी की सफलता के बाद अनेक ऑफर्स थे, लेकिन सब वैसे ही किरदार थे, सो मैंने नहीं किए। फिलहाल डेढ इश्किया पूरी हो गई है। मेरा दावा है कि यह इश्किया से अधिक मजेदार है। फिर उसके बाद आपको लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा में नजर आउंगा। इस फिल्म का स्ट्रक्चर काफी उल्टा है। यह आपको फिल्म देखकर समझ आएगा। सुभाष कपूर अभी मुन्ना भाई लिख रहे हैं। मुन्ना के अगले हिस्से के बारे में मैं इतना कह सकता हूं कि यह एक राजनीतिक फिल्म होगी क्योंकि सुभाष की राजनीतिक समझ काफी अछी है।
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