जलवायु परिवर्तन से अफ्रीकन देशों पर पड़ेगा और बुरा प्रभाव : रक्षा मंत्रालय
औटवा। जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा प्रभाव दुनिया में अफ्रीकन देशों पर पड़ने की आशंका जताई जा रही हैं, वहां मौजूद कैनेडियन सेना ने भी माना कि भविष्य में भयंकर प्राकृतिक आपदाएं इसका सूचक होगी। ज्ञात हो कि रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि आगामी समय में यदि पर्यावरण नियंत्रण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो अफ्रीकन देशों पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा। पर्यावरणविदें के अनुसार जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा प्रभाव अफ्रीकन देशों पर पड़ सकता हैं क्योंकि वहां अभी तक इससे बचाव के कोई भी ठोस कदम नहंी उठाए गए हैं, जिससे जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक वहां सबसे बुरा प्रभाव छोड़ सकते हैं। वैश्विक मौसम जानकारों के अनुसार गत वर्षों के प्रभाव से वर्ष 2100 तक वहां के तापमान में दो से चार प्रतिशत की वृद्धि हो सकती हैं, जिससे वहां ग्रीष्म ऋतु में रहना असहनीय हो जाएगा और सबसे अधिक परेशानी विदेशी सैनिकों को होगी जिन्हें इस भयंकर गर्म मौसम में रहने का साहस जुटाना होगा।
पैरिस क्लाइमेट अग्रीमेंट में दुनियाभर के देशों ने धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मकसद में नाकामयाब होना लगभग तय है। शोध के मुताबिक, इस बात की 99 फीसद संभावना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती के तापमान की वृद्धि का रिकॉर्ड पैरिस डील में तय की गई अधिकतम सीमा को पार कर जाएगा। इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों ने धरती की जनसंख्या और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े पिछले 50 सालों के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद यह भविष्यवाणी की है। इस शोध में शामिल एक वैज्ञानिक ने बताया,”पैरिस क्लाइमेट डील में जलवायु से जुड़े जो लक्ष्य तय किए गए थे, वे यकीनन महत्वाकांक्षी हैं लेकिन उन्हें पूरा करना नामुमकिन नहीं है। बुरी खबर यह है कि इस डील में हमने धरती के लिए जो लक्ष्य तय किए, वे इस तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक या फिर इससे नीचे रखने के लिए काफी नहीं हैं।ÓÓ इस शोध के नतीजे ‘नेचर क्लाइमेट चेंजÓ नाम के जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ने वाले अन्य प्रभाव :
– दुनिया में बढ़ेगी साईक्लोन्स की संख्या, मौसम बदलने के कारण आएंगी बहुतायत बाढ़। कई अफ्रीकन देशों जैसे निगार डेल्टा से एकरा, घाना और अन्य तटीय देशों में भयंकर बाढ़ आने की संभावना बढ़ गई हैं।
– जलवायु परिवर्तन के कारण मत्स्य उद्योग पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। वर्षा की कमी के कारण खेती पर भी बुरा असर पड़ेगा। शहरों में मलेरिया और मच्छर जनित रोगों की संख्या बढ़ने से लोगों की परेशानी और अधिक बढ़ेगी।
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