प्रवासी और अमेरिकी भारतीयों ने जताया विरोध

वॉशिंगटन – भारतीयों और भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के एक समूह ने सूचना का अधिकार कानून में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। आरटीआई कानून के ये संशोधन छह राजनैतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे से मुक्त करते हैं। प्रदर्शनकारियों ने दूतावास को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संबोधित एक ज्ञापन पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया कि भारतीय नागरिक होने के नाते हम सूचना का अधिकार कानून से सशक्त हुए हैं और मांग करते हैं कि इसमें संशोधन नहीं होना चाहिए।
इस ज्ञापन पत्र में कहा गया कि इस कानून ने भारत के नागरिकों को पूरे देश की सेवाओं की निगरानी और उन तक पहुंच बनाने का अधिकार देकर लोकतंत्र में उनकी भागीदारी को मजबूत की है और एक सोचा समझा विकल्प चुनने का अवसर दिया है।
आगे कहा गया कि आरटीआई कानून में कोई भी संशोधन विभिन्न संवैधानिक वादों के सच होने की प्रक्रिया को कमजोर करेगा। प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से मांग की है कि इस कानून में किसी भी प्रकार का संशोधन करने से पहले व्यापक स्तर पर सार्वजनिक चर्चाएं करवाई जाएं।
एसोसिएशन ऑफ इंडियाज डेवलपमेंट के एक स्वयंसेवी और इस अभियान के आयोजकों में से एक अरुण गोपालन ने कहा कि दर्जनों घोटाले सामने आने पर, आज भारत में साख का गहरा संकट है। ऐसे में केंद्रीय सूचना आयोग की ओर से की गई व्यवस्था के तौर पर यह कानून अंधेरे में रोशनी की एक किरण जैसा है।
उन्होंने कहा कि अब मंत्रिमंडल की ओर से उठाया जा रहा यह पश्चगामी कदम भारत की साख बहाली की हर उम्मीद को खत्म कर देगा। गोपालन के अनुसार, संप्रग सरकार यह कदम उठा कर राजनैतिक जवाबदेही का एक उदाहरण स्थापित करने का ऐतिहासिक अवसर गंवा रही है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय लोकतंत्र का विकास सुनिश्चित करने के लिए यादा से यादा पारदर्शिता का हमेशा समर्थन करते रहना है।
यंग इंडिया इंक के संस्थापक रोहित त्रिपाठी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे विरोध प्रदर्शन उन लोगों को फिर से नागरिक समाज से जोडऩे के लिए प्रोत्साहित करेंगे जिनकी भूमिका आरटीआई कानून के निर्माण में महत्वपूर्ण रही है।

 

 

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