पाईपलाईन विरोध के कारण हुए अवरोधों का हल जल्द ही निकाला जाएगा : प्रधानमंत्री
– प्रधानमंत्री ट्रुडो ने सभी को धीरज बनाएं रखने अपील की और कहा अवरोध छोड़े मिलकर बात करें
ओटवा। देश में आदिवासी समूहों द्वारा पाईपलाईन विरोध के कारण कई स्थानों पर अवरोध पैदा किया जा रहा हैं और यह अवरोध धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा हैं, पिछले कुछ दिनों के अंदर ही सैकड़ों रेलगाड़ियां स्थगित की गई हैं इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने कई राज्यों की सीमाओं को भी कुछ घंटो के लिए शट डाऊन करवाया जिससे मामले की गंभीरता को आंका जा सकता हैं। इन सभी घटनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने स्वयं इसे संभालने के लिए पहल की और प्रदर्शनकारियों से अपील करते हुए कहा है कि वह खुलकर केंद्र सरकार से इस बारे में वार्ता करें न कि इस प्रकार का उग्र प्रदर्शन करके देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाएं या यातायात अवरोध करके अपने ही देश की अर्थव्यवस्था को हानि पहुंचाएं। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने सांसदों के साथ एक आपात बैठक का आयोजन भी किया, जिसे संबोधित करते हुए उन्होंने माना कि प्राकृतिक गैस पाईपलाईन के विस्तार की योजना में सरकार 6.6 बिलीयन डॉलर का निवेश करेगी, इससे देश की अर्थव्यवस्था को एक मजबूत सहारा मिलेगा, परंतु इसके लिए किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता, सांसद अपने क्षेत्र के सभी आदिवासी समूहों के नेताओं से वार्ता करें और इससे होने वाले लाभों को उन्हें और स्थानीय लोगों को समझाएं, उन्होंने आगे कहा कि इतिहास में कुछ भी बदलाव के लिए समस्याएं उत्पन्न होती हैं। परंतु उन्हें समझदारी से हल करना ही उचित होगा। पिछले कई वर्षों से हम इस प्रकार के बदलाव को करने में असफल रहे हैं, जिसे समझना होगा।
वहीं दूसरी ओर कैनेडियन मैनुफैक्चरर्स एंड एक्पोर्टस के सीईओ डेनीस डारबाय ने बताया कि इस संकट के कारण अभी तक 425 मिलीयन डॉलर का नुकसान आंका गया हैं, जोकि एक गंभीर समस्या हैं और यदि इस बंदी को रोका नहीं गया तो यह आंकड़ा बढ़ता जाएगा जोकि कैनेडियन व्यापार को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदर्शनकारियों को धीरज व विश्वास से काम करना होगा और सरकार की नीतियों को शांति से समझना होगा कि देश के विकास के लिए यह विस्तार कितना आवश्यक हैं, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को समाप्त करने के लिए कैनेडा सर्वोपरि हैं और हम कभी भी यह नहीं चाहेंगे कि इस प्रकार के परिवर्तन से किसी भी नागरिक को कोई नुकसान पहुंचे, यदि देश का आर्थिक विकास होगा और रोजगार बढ़ेगा तो इसका लाभ निकटवर्ती क्षेत्रों को अवश्य होगा।
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