मजदूरी सब्सिडी में मिलेगी और राहत, स्टूडेंट जॉब्स में भी मिलेगा अधिक सहयोग : ट्रुडो

औटवा। प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने विपक्ष व छोटे व्यापारियों के उस बयान का उत्तर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार मौजूदा स्थिति पर अपनी नजर बनाएं हुए हैं और समय-समय पर आपदा काल में घोषित सब्सिडी आदि की योजनाओं में बदलाव भी किया जा सकता हैं, इस प्रकार की स्थिति का सामना पहली बार किया जा रहा हैं और वर्तमान समय में सबसे महत्वपूर्ण लोगों का जीवन बचाना हैं और इसके साथ-साथ देश की वित्तीय स्थिति भी बिगड़े नहीं इस बात पर भी विचार करना हैं, जिसके लिए ये घोषणाएं की गई थी। परंतु यदि ऐसे प्रमाण मिले कि मौजूदा योजनाओं से अधिक लाभ नहीं मिल रहा तो केंद्र सरकार मजदूरी सब्सिडी में अवश्य बदलाव करेगी और युवाओं के लिए जारी समर जॉबस में भी और अधिक प्रावधान निर्धारित कर सकती हैं। बुधवार को आयोजित वार्ता में उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्थिति के बदलाव के साथ ही योजनाओं में भी बदलाव किया जा सकता हैं, इसलिए ये योजनाएं पूर्णत: पारदर्शी बनाई हैं, ट्रुडो ने अपनी नई घोषणा में यह भी कहा कि इस योजना में उन व्यापारियों को भी शामिल किया जाएगा जिनकी मार्च में राजस्व में 15 प्रतिशत तक की कमी आई हैं, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में प्राप्त राजस्व से आंका जाएगा। इसके अलावा इस योजना में सभी चैरिटीज और गैर-लाभकारी संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं, जो अपने रिवैन्यूज को सरकारी राहत के अनुसार जोड़े और इसके आधार पर अपने आवेदन को जमा करवाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय व्यापार को राहत प्रबंधन और कर्मचारियों को वेतन की आवश्यकता है जिससे पूरा करने पर ध्यान दिया गया हैं, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए संकट काल समाप्त होने के पश्चात विचार किया जाएगा।
पीएम ने वैश्विक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में 2 अरब से अधिक अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को बीमारी के दौरान वेतन मिलने की सुविधा नहीं थी। विश्व बैंक ने पिछले सप्ताह कहा था कि यदि स्थिति बिगड़ी तो पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में गरीबी 11 मिलियन लोगों तक बढ़ सकती है। कोरोनावयरस के असर को कम करने में मदद करने के लिए ऑक्सफैम ने एक छह सूत्रीय कार्ययोजना का प्रस्ताव किया है। जो जरूरतमंदों को नकद अनुदान और राहत मुहैया कराएगी। इसके साथ ही कर्ज को माफ करना, आईएमएफ समर्थन ज्यादा बढ़ाना और मदद भी शामिल है। कुल मिलाकर दुनिया भर की सरकारों को विकासशील देशों की मदद करने के लिए कम से कम 2.5 खरब डॉलर जुटाने की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर देशों ने दिखाया है कि संकट के इस समय में वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के लिए खरबों डॉलर जुटा सकते हैं। फिर भी जब तक विकासशील देश भी इस स्वास्थ्य संकट से लड़ने में सक्षम नहीं होते हैं तब तक आर्थिक संकट जारी रहेगा। अमीर और गरीब सभी देशों को इससे और भी ज्यादा नुकसान होगा।
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