लॉकडाउन में बाल उत्पीड़न की संख्या में आई बढ़ोत्तरी : एडवोकेटस

औटवा। बाल एवं युवा संबंधी मामलों की एडवोकेट डेफने पेनरोज का कहना है कि कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के साथ साथ एक नई समस्या देश में अपना सिर उठा रही हैं, वह हैं बाल उत्पीड़न की। पिछले दिनों किए गए एक ऑनलाईन सर्वे में माना गया कि इस समय अधिकतर परिवारों में सभी लोग अपने घर में ही हैं और अधिक समय तक घर में रहने से अभिभावकों और बड़े लोगों का गुस्सा और मानसिक पीड़ा का शिकार अधिकतर बच्चे बन रहें हैं। कई मामलों में प्रतिदिन कहीं न कहीं बच्चों के साथ मार-पीट या अभद्र भाषा के प्रयोग की सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं। चिल्ड्रन फर्स्ट कैनेडा की सीईओ सारा ऑस्टीन ने भी माना कि मध्य मार्च के पश्चात से देश में बाल उत्पीड़न व बच्चों के साथ अभद्र भाषा आदि के मामलों में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई हैं, जोकि चिंता का विषय हैं। सूत्रों के अनुसार यदि यह बंदी और अधिक दिनों तक चलती हैं तो बच्चों की मानसिक मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा और वे परिवार के मूल विषयों से डरने लगेंगे और ऑस्टीन ने बताया कि प्रारंभ से ही शहरी जीवन में अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को डे-केयर आदि सेंटरों में छोड़कर अपने कार्यों पर चले जाते थे और अधिकतर दिन बच्चे अपने स्कूलों में ही रहते हैं, जिस कारण से अधिकतर अभिभावकों को साथ में समय बिताने का कम मौका मिलता था, परंतु पिछले कुछ सप्ताह से अभिभावक अपने सभी कार्य घर से ही कर रहे हैं और देश के सभी स्कूल व कॉलेज बंद होने से किसी भी छात्र को घर से बाहर जाने का मौका नहीं मिल पा रहा। जिसके कारण वे भी अधिक समय से घर में रहने से मानसिक रुप से प्रभावित हो रहे हैं, इसके अलावा अभिभावकों को भी समझना होगा कि यह स्थिति परिवार के साथ सुखद समय बिताने की हैं न कि परिवार में कलह का वातावरण पैदा करके बच्चों को प्रभावित करने की। इसलिए सुरक्षित रहे और घर पर ही ऐसे माहौल को पैदा करें जिससे बच्चे उत्पीड़न का शिकार न होकर सुखद वातावरण में अपना जीवन जीएं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि केवल अल्बर्टा में ही सोमवार को 243 ऐसी रिपोर्ट मिली जिसमें बच्चों के साथ गलत व्यवहार किया गया। देश औसतन बाल उत्पीड़ने मामलों पर नजर ड़ाले तो पिछले दो वर्षों में लगभग 110 रिपोर्टस मिली।
You might also like

Comments are closed.