सप्ताह में एक दिन लगेगा हाऊस ऑफ कोमन्स

लिबरलस, ब्लॉक, एनडीपी, ग्रीन ने सर्वसम्मति से इस बात पर अपनी मोहर लगाई
वहीं कंसरवेटिवस का कहना है कि कोविड-19 के कारण कम से कम सप्ताह में तीन बार सत्र लगना आवश्यक होना चाहिए
औटवा। लिबरलस व अन्य पार्टियों का मानना है कि इस आपदा की घड़ी में भी कंसरवेटिवस राजनीति कर रही हैं और हाऊस ऑफ कोमनस को पूर्ववत चलाने की जिद में अपना मत नहीं दे रहीं, अपितु केंद्र सरकार व संबंधित पार्टियां देश का प्रशासन सुचारु रुप से चले इस बात पर जोर देते हुए सभी सरकारी कामों को योजनाबद्ध तरीके से करने पर जोर दे रही हैं। सोमवार को इस प्रस्ताव पर हुई बैठक के दौरान किए मतदान में 22-15 मतों से यह बात स्पष्ट हुई कि कंसरवेटिवस इस प्रस्ताव के बिल्कुल खिलाफ हैं। सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में यह स्पष्ट कहा गया कि सप्ताह में एक दिन हाऊस ऑफ कोमनस का आयोजन किया जाएं जिसमें सभी प्रकार से सोशल डिशटेन्सींग का पालन करते हुए कार्य किए जाएं और शेष सभी दिन वर्चुअल बैठकों का आयोजन हो, जिसके अंतर्गत सभी सांसद व नेतागण अपने-अपने कार्यों को अंजाम दें और लोगों की सुरक्षा और महामारी के नियंत्रण आदि संबंधित उपायों पर भी निगरानी बनाएं रखें। कंसरवेटिवस के सप्ताह में केवल एक दिन के संसद सत्र का विरोध करते हुए इसमें संशोधन का प्रस्ताव रखा जिसे केंद्र सरकार के साथ साथ अन्य पार्टियों ने नकार दिया। ज्ञात हो कि सरकार ने मध्य मार्च में देश में कई क्षेत्रों में लॉकडाउन लगा दिया था, जिसमें सभी गैर-महत्वपूर्ण वस्तुओं की बिक्री वाले स्थानों पर प्रतिबंध व अन्य प्रस्तावों को लागू किया गया था। अब आगामी प्रस्ताव के लिए पुन: संसद का आयोजन आवश्यक होने पर यह संशोधित प्रस्ताव लाया गया।
संसद सत्र का आरंभ नोवा स्कोटिया में मारे गए निर्दोषों की निर्मम हत्या पर शोक व्यक्त करने से हुई। उसके पश्चात इससे संबंधित सभी जांचों को जल्द ही पूर्ण करने के आदेश भी कानून मंत्रालय को जारी किए गए। ग्रीन पार्टी के सांसद पाउल मैन्टली ने कोमनस स्पीकर अंथॉनी रोटा को कहा कि इस विशेष सत्र में सांसदों के अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाएं और किसी भी प्रकार से कोविड-19 की आड़ में सांसदों के अधिकारों को दबाया नहीं जाएं। जबकि एंड्रू शीयर का कहना है कि हाऊस ऑफ कोमनस के सभी डिबेटस और चर्चाओं को विशेष सत्र में पूर्ण किया जाएं जिससे सरकार की वास्तविक नीतियों का ज्ञान सभी को हो सके और उनकी भविष्य की योजनाओं पर भी अपनी टिप्पणी दी जा सके। शीयर ने माना कि आपदा की घड़ी में सभी के मिलकर कार्य करने से संकट को नियंत्रित किया जा सकेगा, परंतु उसके लिए सभी को सर्वसम्मति बनानी होगी, किसी भी प्रकार का दबाव उचित नहीं। वहीं अन्य पार्टियों के प्रमुखों का भी मानना है कि अपने को लाचार बताकर अपने निर्णयों को श्रेष्ठ करार देने की मंशा में कंसरवेटिवस को अपनी बातों का रखने का अधिकार नहीं, उचित प्रस्तावों को ही संसद में माना जाएगा।
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