गंगा व हिमालय को समर्पित जीवन
ऋषिकेश – गंगा और पर्यावरण की स्वछता के लिए दावे और भाषण तमाम होते हैं मगर, दावों के सापेक्ष धरातल में कुछ नजर नहीं आता। वहीं दूसरी ओर क्लीन हिमालय एक ऐसी संस्था है जो पर्यावरण और गंगा स्वछता के लिए समर्पित भाव से जुटी है। बड़ी बात यह है कि इस संस्था का आधार कैनेडा मूल की साध्वी है। जिसने अपना जीवन ही गंगा व हिमालय के लिए समर्पित कर दिया।
मूल रूप से कैनेडा निवासी साध्वी अमृत स्वरूपानंद दिसंबर 1980 में भारत भ्रमण पर आई थी। ऋषिकेश के शिवानंद आश्रम के संत स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज के संपर्क में आने के बाद इनकी जीवन की दिशा ही बदल गई। कैनेडा में परास्नातक तक की शिक्षा हासिल करने वाली सुसन क्रोवेथर के भीतर सेवा का ऐसा भाव जागा कि उन्होंने अपने मूल नाम को ही होम करते हुए संन्यास ले लिया और बन गई साध्वी माता अमृत स्वरूपानंद। कई वर्षे तक गंगा स्वछता के लिए काम करने के बाद स्वाध्वी अमृत स्वरूपानंद स्थानीय युवा जितेंद्र कुमार के संपर्क में आई। मूल रूप से पटना बिहार निवासी जितेंद्र तपोवन क्षेत्र में क्लीन हिमालय नाम की संस्था का संचालन करते थे। साध्वी ने क्लीन हिमालय सोसाइटी के नाम से इस संस्था का पंजीकरण कराते हुए संस्था के कार्यक्रमों को विस्तार देने का काम किया। सबसे पहले तपोवन क्षेत्र को संस्थान ने अपने अभियान में शामिल करते हुए लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। शुरुआती दौर में कठिनाई आई मगर, कुछ ही समय बाद संस्था की मुहिम सफल रही। करीब एक दशक से यही संस्था तपोवन क्षेत्र को साफ-सुथरा बनाए हुए हैं। जैविक और अजैविक कचरे को एकत्र कर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए यह संस्था सरकारी दावों को आइना दिखा रही है। हालांकि अभी तक संस्था का कार्यक्षेत्र सीमित है, मगर सफलता का पता इसी बात से चल जाता है कि इस छोटे से क्षेत्र से संस्था प्रतिदिन एक टन से अधिक कूड़ा एकत्र कर उसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करती है। सप्ताह में गुरुवार का दिन इस संस्था का गंगा स्वछता के लिए समर्पित होता है। जिसमें स्थानीय व्यापारी और नागरिक भी संस्था को सहयोग प्रदान करते हैं। क्लीन हिमालय सोसाइटी पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ डेढ़ दर्जन से अधिक युवाओं को रोजगार मुहैया कर रही है। क्लीन हिमालय के कार्य को देखते हुए एक अमेरिकी संस्था ने कूड़ा निस्तारण के लिए अत्याधुनिक मशीन देने की भी पेशकश की है। थिंक ग्लोबली एक्ट लोकली का मंत्र देने वाली स्वाध्वी अमृत स्वरूपानंद का कहना है कि मेरा संकल्प तभी सफल होगा जब तपोवन से शुरू हुई यह मुहिम पूरी तपोभूमि [उत्तराखंड] को स्वछ व सुंदर बनाने का काम करेगी।
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