कैनेडा सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्य बनने के प्रयास में विफल रहा

औटवा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की अस्थाई सदस्यता को लेकर मिलने वाले कैनेडा का सम्मान उसके हाथ से फिसल गया, ज्ञात हो कि नॉरवे और आईरलैंड के साथ प्रतिद्वंदिता में कैनेडा को यह हार मिली। दुनिया के साथ कड़ी टक्कर देने में यह हार कैनेडा के लिए एक बार फिर से बाधा बनकर सिद्ध हो सकती है। जानकारों के अनुसार वर्ष 2010 के पश्चात से अभी तक कैनेडा को यह सीट नहीं मिल पाई हैं। अर्थात् जब से जस्टीन ट्रुडो ने सत्ता संभाली हैं तभी से कैनेडा को संरा सुरक्षा परिषद् की यह सीट नहीं मिल पाई हैं। ज्ञात हो कि कैनेडा इससे पूर्व छ: बार इस सदस्यता को प्राप्त भी कर चुका हैं, बताया जा रहा है कि सबसे पहले कैनेडा ने 1946 में यह बिड खोई थी, उसके पश्चात द्वितीय विश्व युद्ध में कैनेडियन संस्थाओं द्वारा अद्वितीय कार्यों के कारण उसे सदस्यता मिली। एनडीपी के पूर्व विदेश मंत्री जैक हैरिस ने कहा कि लिबरल सरकार को इस सीट को प्राप्त करने के लिए और कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, अभी प्रयासों की कमी के कारण कैनेडा को यह हार मिली। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने वर्ष 2015 में अपनी जीत के पश्चात यह दावा किया था कि वह अवश्य ही इस सीट को अवश्य ही प्राप्त करेंगे। परंतु लगभग पांच वर्ष बीत जाने के पश्चात भी उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।
सूत्रों के अनुसार कैनेडा ने पहले राउन्ड में ही पर्याप्त मत नहीं प्राप्त किए, बुधवार को हुए मतदान के अनुसार कैनेडा को 192 सदस्य वाली इस टीम में से कम से कम 128 मत प्राप्त करने थे जिसके पश्चात उसे यह सीट मिलती, परंतु कैनेडा के स्थान पर नॉरवे को 130 मत मिलें और आयरलैंड को 128 मत मिलें। इस मतदान के पश्चात अभी तक ट्रुडो ने कोई भी अधिकारिक टिप्पणी नहीं जाहिर की हैं, उन्होंने बस यहीं कहा कि कैनेडा वापस आएंगा और इस बार उसकी तैयारी पूरी होगी।  यूएन हेडक्वार्टर, कोरोना महामारी की वजह से 15 मार्च से ही बंद था। आज यहां पर तीन चुनाव कराए गए, सभी सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अगले प्रेसिडेंट, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच गैर अस्थायी देशों और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों के चुनाव के लिए वोट किया।
चैम्पेज ने अपने साक्षात्कार में कहा कि यह कैनेडा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती, यदि कैनेडा ने अपने सभी अवरोधों को पार कर लिया तो संरा में अस्थाई सीट पक्की करना एक ऐतिहासिक पल होता, परंतु ऐसा नहीं हो पाया। सरां में अपनी योग्यता प्रमाणित करके जलवायु परिवर्तन की समस्या को कैनेडा और अच्छी तरह से दुनिया के सामने ला सकता और इस महामारी काल में जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या से निपटने के लिए भी कारगर भूमिका अदा करता।संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तीजानी मुहम्मद-बांडे ने बुधवार को यह जानकारी दी। श्री मुहम्मद-बांडे ने कहा, ‘महासभा में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों देशों की ओर से बहुमत मिलने के बाद भारत, मैक्सिको, नार्वे और ऑयरलैंड को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया है जोकि एक जनवरी 2021 से शुरू होगा।’ संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश गुरुवार को एकत्र होंगे और अफ्रीकी समूह के देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली सीट के लिए दूसरे दौर का मतदान होगा। केन्या और जिबाती दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने में असफल रहे। कैनेडा सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्य बनने के प्रयास में विफल रहा। एक जनवरी 2021 को बेल्जियम, जर्मनी, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और डोमिनिक गणराज्य का सुरक्षा परिषद में दो वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा। सुरक्षा परिषद् के प्रत्येक अस्थायी सदस्य को दो-तिहाई वोटों की जरुरत होती है। सुरक्षा परिषद् के आधे अस्थायी सदस्य प्रत्येक वर्ष दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं जिनमें से 10 अस्थायी जबकि पांच स्थायी सदस्य होते हैं। गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद् में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन स्थायी सदस्य हैं।

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