लिबरल्स की वित्तीय योजनाओं की जांच करवाना चाहते हैं टोरीज, एनडीपी
औटवा। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों का एकजुट यहीं मत है कि केंद्र की लिबरल सरकार अपनी वित्तीय योजनाओं की समीक्षा को सार्वजनिक करें, जिससे पारदर्शिता बनी रहें और सभी पार्टियां भी केंद्रीय योजनाओं में सहयोग कर सके। पिछले चार माह से देश में कोविड-19 के कारण देश की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक बिगड़ गई हैं, जिसे बचाने के लिए सरकार ने कई राहत पैकेजों की घोषणा भी की लेकिन इस बारे में अपने वित्तीय अपडेटस को अभी तक केंद्र सरकार ने उजागर नहीं किया हैं। जिसके लिए पहली बार विपक्ष ने यह मांग उठाई हैं कि सरकार अपनी योजनाओं के लिए खुलकर सभी को अपनी नीतियों को ज्ञान करवाएं, जिससे कोई भी दुविधा उत्पन्न न हो और लाभार्थियों को भी इस बात का पता रहें कि उन्हें मिलने वाली वित्तीय सहायता का प्रबंध सरकार ने कैसे किया हैं? इस बार विपक्षी पार्टी प्रोगरेसीव कंजरवेटिवस के साथ एनडीपी ने भी इस मांग को जायज ठहराते हुए कहा है कि यदि सरकार निष्पक्ष होकर इस महामारी काल में अपनी वित्तीय नीतियों का उजागर करेंगे तो सभी को संतुष्टि मिलेगी। ज्ञात हो कि कंसरवेटिवस का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा ”आउटसोर्सिंग” के आधार पर कार्य करने वाले सभी देशी-विदेशी छात्रों को कोविड-19 महामारी के काल में रोजगार छूट जाने के कारण घोषित की गई वित्तीय योजना की जांच ऑडीटर जनरल कारेन होगन द्वारा होनी चाहिए, जिससे इस संबंध में सभी बातें पारदर्शी हो सके। इस वित्तीय सहायता योजना में कैनेडा छात्र सेवा अनुदान और वी चैरिटी को ही जोड़ा गया जिसमें भी संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार वी चैरिटी संस्था के साथ प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो और उनकी पत्नी सोफिया ट्रुडो के करीबी संबंध बताए जा रहे हैं, इसलिए सरकार ने उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना से वी चैरिटी को जोड़ा, पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए सरकार और वी चैरिटी के आंतरिक दस्तावेजों की संपूर्ण जांच होनी चाहिए, जिससे सभी प्रकार की संदेहास्पद बातों पर अंकुश लगाया जा सके, यदि इसमें कोई डील संदेहास्पद लगती हैं तो उसके लिए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो, जिन्होंने इस आपदा काल में भी छात्रों का नाम लेकर जनता के धन का दुरुपयोग किया। वहीं पीसी वित्त समीक्षक पीयरे पाएलीएवरे का कहना है कि लिबरलस की सभी योजनाएं केवल बड़े उद्योगों के लिए हैं, इसमें लधु उद्योगों के लिए कोई उचित योजना तैयार ही नहीं की गई हैं, जिस पर भी केंद्र सरकार को जल्द ही विचार करना चाहिए। गौरतलब है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण अभी तक 174 बिलीयन डॉलर की योजनाओं को अपनी नीतियों में शामिल किया हैं। सांख्यिकी कैनेडा का कहना है कि गत अप्रैल से देश की अर्थव्यवस्था 11.6 प्रतिशत गिरी हैं, जिसे संभालने के लिए केंद्र सरकार को कुछ कारगर उपाय अवश्य अपनाने होंगे। वहीं निर्माण उत्पाद में मार्च से 7.5 प्रतिशत की कमी देखी गई हैं। वहीं संसदीय बजट अधिकारी व्वेश गिरॉक्स ने बताया कि पिछले वर्ष यह उम्मीद लगाई गई थी कि इस वर्ष राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी परंतु अभी तक का राजस्व घाटा 250 मिलीयन डॉलर तक पहुंच गया हैं। वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था को इस समय कारगर रुप से उपयोग करने से ही इसका लाभ भविष्य में मिल सकेगा।
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