फोर्ड सरकार के किराया कानून को कानूनी चुनौती देना ‘कठिन’ : टोरी
टोरंटो। मेयर जॉन टोरी ने अपने ताजा साक्षात्कार मे माना कि सिटी ऑफ टोरंटो द्वारा राज्य सरकार के संशोधित किराया कानून को कानूनी चुनौती देना सरल कार्य नहीं हैं, उनके अनुसार इस नियम में संशोधन में उन हजारों निष्कासनों को नहीं रोक सकेगी, जिसकी संभावना अगले कुछ दिनों में लग रही हैं। ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह ही टोरंटो काउन्सिल द्वारा 2 की तुलना में 22 वोटों से इस बात पर समर्थन दिया गया था कि राज्य सरकार के नए किराया कानून के विरोध में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएं। जिससे भविष्य में होने वाली किरायेदारों की भारी निष्कासन को रोका जा सके। उन्होंने यह माना कि इस किराया कानून में अधिकार राज्य का होगा क्योंकि जिस भूमि पर यह भवन बने हैं उसमें अधिकतर पर अधिकार राज्य सरकार का हैं इसलिए उनका वर्चस्व अधिक होगा। उन्होंने यह भी माना कि पुराने किराये कानून के अनुसार यदि किरायेदार और मकानमालिक के मध्य किराये संबंधी कोई भी विवाद होता हैं तो किरायेदार को उस स्थान को खाली करके जाना होगा, इसमें संशोधन को मान्यता मिलने के पश्चात ही कोई कार्य आगे बढ़ाया जा सकेगा। टोरी ने यह भी कहा कि नए किराया कानून में किरायेदार को कई अधिकार दिए गए हैं, परंतु किराये संबंधी कानून में विवाद होने पर निष्कासन का नियम पूर्ववत रखा हैं, जिससे यह संभंव हो सकता है कि उन्हें किराया नहीं मिलने की सूरत में निष्कासित किया जा सकता हैं। लेकिन टोरी ने इस बात का पूर्ण विश्वास दिखाते हुए कहा कि हम पूरी कोशिश कर रहे है कि हजारों लोगों को अपने घरों से नहीं जाना पड़े, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल राज्य सरकार से एक नई अपील द्वारा प्रार्थना की जा रही हैं कि वे इस कानून में कुछ और संशोधन करें जिससे भविष्य में होने वाली इस अनर्थकारी लीला को होने से रोका जा सकेगा। ज्ञात हो कि पिछले दिनों टोरी ने कहा था कि वर्तमान कानून के अनुसार मकानमालिक और किरायेदार संघ सभी विवादों पर कोर्ट जा सकते हैं और किसी भी विवाद को लेकर मकान मालिक अपने घर से किरायेदार को निकाल सकता है, जबकि राज्य का मानना है कि किसी भी विवाद के लिए मकानमालिक व किरायेदार यदि आपस में संधि कर लेते है तो उसे मान्य कर लेना चाहिए। समीक्षकों व कानूनी सलाहाकारों का मानना है कि यदि किरायेदार को मकानमालिक की कोई दलील पसंद नहीं तो उसे अवश्य ही इसे बोर्ड के समक्ष पेश करनी चाहिए जिससे उसका बीच का समाधान निकल सके। राज्य का कहना है कि इस संकट काल में सभी को समर्थन के साथ चलना होगा, किसी भी विवाद को लेकर अपने आपसी मतभेद उजागर नहीं करने है, इसलिए एक मध्यस्थ बिल को पास करना ही विधानसभा का पहला कार्य होगा।
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