‘बैक टू स्कूल योजना’ को आरंभ करने का दबाव बना रहे है अभिभावक व अध्यापक
मॉन्ट्रीयल। ओंटेरियो में स्कूलों को आगामी सितम्बर से खोल दिया जाएगा, इसलिए अब क्यूबेक वासियों को भी अपने बच्चों के भविष्य के बारे में चिंता सता रही हैं, जिसके कारण अब क्यूबेकियनस भी इस बारे में अपने क्षेत्रों के स्कूलों को खोलने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा रहा हैं। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए राज्य के शिक्षामंत्री जीन फ्रान्सकोइस राबरज ने बताया कि गत 6 अगस्त को उनकी एक बैठक क्यूबेक के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ. हॉरासीओ अरुडा और स्वास्थ्य मंत्री क्रिस्टीन डूड के साथ हुई जिसमें इसी विषय पर गहन चर्चा हुई कि आगामी दिनों में स्कूलों के रिओपन से कितना प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा। कोविड-19 महामारी के कारण अभिभावकों और अध्यापकों को विशेष चिंता बच्चों के मध्य इस महामारी के फैलने का डर हैं? ज्ञात हो कि गत 3 अगस्त को इस बारे में राज्य की प्रमुख लिबरल पार्टी के मुख्य समीक्षक ने जनता की ओर से शिक्षा मंत्रालय से लगभग दो दर्जन प्रशन पूछे जिससे इस मामले की गहन स्थिति का भी जायजा लिया जा सका और अभिभावक भी संतुष्ट हुए कि आगामी दिनों में स्कूल खोलने से इसका दुष्प्रभाव बच्चों पर नहीं पड़ेगा। येतनाम ने माना कि मई से ही उचित निर्देशों का पालन करते हुए स्कूलों को खोल देना उचित होता, परंतु उस समय बच्चों के जीवन का अधिक खतरा बना हुआ हैं। वहीं जूलीयस ग्रे नामक एक अभिभावक का मानना है कि उनके बच्चों के लिए रिमोट लर्निंग सेवा ही सबसे उत्तम हैं, क्योंकि इस आपदा काल में बच्चों की सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण हैं। इसी चिंता का बयान करते हुए कक्षा दो में पढ़ने वाली बेटियों के एक मां ने मीडिया के साथ अपनी चिंता जाहिर की। डेन्जींगर मारमर नामक इस महिला ने कहा कि यह सब एक आश्चर्य की भांति घट रहा है, पिछले वर्ष उन्होंने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि इस वर्ष महामारी काल में वह अपने बच्चों को पढ़ाने में असहजता महसूस करेगी। जबकि एक अन्य मां का कहना है कि उसको इस समय अतिरिक्त लागत से अपने बच्चों के लिए एक निजी ट्यूटर की व्यवस्था करनी होगी जिससे पूरे समय के लिए उनके बच्चों का प्रबंधन हो सके और वह शांति से अपने काम पर लौट सके। इन अभिभावकों का मानना है कि सरकार को इस योजना से पूर्व इसके हर पहलू पर अवश्य गौर करना चाहिए था, जिससे अब एकल अभिभावकों को होने वाली भारी समस्या का सामना कामकाजी अभिभावकों को नहीं करना पड़ता। लेकिन उन्होंने यह भी आशा जताई कि जल्द ही शिक्षा मंत्रालय इस बारे में उचित कदम उठाएंगी और बच्चों व संबंधित कर्मचारियों के लिए जो योजना उत्तम होगी उसे ही अपनाया जाएगा।
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