लिबरल्स और विपक्ष में विवाद का नया मुद्दा ‘रेंट-रिलीफ प्रोग्राम’

औटवा। बढ़ते रेंट विवादों का हल निकालने के लिए सरकार का मानना है कि अर्फोडेबल हाऊसींग ही आज के समय में उन लोगों के लिए एक कारगर कदम सिद्ध हो सकता हैं।  ज्ञात हो कि कोविड-19 महामारी के कारण कोई भी व्यक्ति अपने घर से नहीं निकल पा रहा, जिसमें देश के सभी किरायेदार भी शामिल हैं, जिनके लिए यहीं माना जा रहा है कि यदि इनके लिए घोषित योजनाओं का वित्तीय सहयोग इनके निर्माण कार्यों में किया जाएं तो वास्तविक लक्ष्य की प्राप्ति में कोई भी देरी नहीं होगी। विपक्ष का कहना है कि इस समय सत्ताधारी सरकार कई प्रकार के विवादों में उलझे हुए हैं जहां पिछले वर्ष सरकार के ऊपर एसएनसी-लेवालिन और अन्य वित्तीय घोटालों में नाम आया था वहीं इस वर्ष ”वी चैरिटी” के साथ उठे विवादों से अभी तक केंद्र सरकार उबर नहीं पाई हैं। जिसके कारण यह माना जा रहा है कि रेंट-रिलीफ प्रोग्राम की भी पूर्ण प्रकार से जांच की जाएं, क्योंकि इस परियोजना में भी सरकार ने सभी किरायेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए वित्तीय मदद की घोषणा की थी, परंतु घोषणा के इतने दिनों पश्चात भी अभी तक किसी को कोई सहायता नहीं मिल पाई हैं। इस बात का सरकार ने अपने कई संदेशों में खेद भी व्यक्त किया हैं। विपक्ष का कहना है कि मई में सरकार ने इस योजना की घोषणा की थी, जिसे बाद में जुलाई तक बढ़ाते हुए इसमें 84 मिलीयन डॉलर का अतिरिक्त अनुदान देने की बात दोहराई, जिस कारण से विपक्ष का मानना है कि इस बारे में भी गहन जांच होनी चाहिए, जिससे कोई भी अनुचित गतिविधि की जानकारी तुरंत हो सके। वहीं लिबरलस ने भी विपक्ष पर अनैतिक ढंग से आरोप लगाने की बात मानी हैं, लिबरलस का कहना है कि विपक्ष को मौजूदा परिस्थितियों से कोई सरोकार नहीं अपितु वे इस आपदा काल में भी पूरा लाभ उठाने के मूड में हैं। गौरतलब है कि यह विवाद तब खड़ा हुआ जब प्रधानमंत्री ट्रुडो ने गत 24 अप्रैल को उन सभी किरायेदारों को राहत देते हुए घोषणा की थी और कहा था कि जल्द ही इस वित्तीय राहत पैकेज से सभी जरुरतमंद किरायेदार की मदद हो सकेगी। सरकार ने इस योजना में सभी किरायेदारों को व्यापार में कमी के कारण अपने किरायों में 75 प्रतिशत तक की कमी की घोषणा की थी, जिसके पश्चात सरकार को पंजीकृत मकानमालिको को किरायें का 30 प्रतिशत ही देना होगा।

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