‘ओंटेरियो बिजनेस स्कूलों’ में भी फैला हैं नस्लवाद
ओंटेरियो। ओंटेरियों के बिजनेस स्कूलों के छात्रों का भी मानना है कि संस्थागत नस्लवाद देश के बिजनेस स्कूलों में भी फैला हैं। जिसके कई उदाहरण स्कूलों में प्रशिक्षण व फैक्लटी के दौरान देखें जा सकते हैं, विशेष रुप से नव आगंतुकों को इस अमानवीय बर्ताव का अधिक सामना करना पड़ता हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब संस्था में पढ़ने वाले कई छात्रों ने अपनी आप बीती सोशल मीडिया पर शेयर की, इस मामले में किंगसटन की क्वीनस यूनिवर्सिटी और टोरंटो की यॉर्क यूनिवर्सिटी प्रमुख रुप से सामने आई हैं। अपनी आप बीती बताते हुए 20 वर्षीय सिंगापुर-चीनी छात्र कैली वेलींग जॉऊ ने कहा कि क्वींस के स्मिथ स्कूल ऑफ बिजनेस में उनके साथ कई बार ऐंसी घटनाएं हुई जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसके एशियाई होने से देश की प्रख्यात यूनिवर्सिटी में उसके साथ नस्लीय विरोधी कार्यवाही हुई। जॉऊ ने इस संबंध में अपना दु:खद अनुभव सभी के साथ साझा किया और कहा कि देश से जल्द ही संस्थागत नस्लवाद समाप्त होना चाहिए जिससे देश की छवि दुनिया के सामने सुधरकर सामने आ सके, उनके विचारों को इस्टाग्राम में 12,000 से अधिक फोलोअरों ने देखा जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस घृणित विचारों पर दुनिया में कितना अधिक गुस्सा हैं और अधिकतर दुनिया के लोग आज भी नस्लवाद के विरोध में एकजुट होकर अपनी आवाज उठाना चाहते हैं। स्मिथ प्रशासन अपनी उचित सुविधाओं को छात्रों को उपलब्ध करवाने में नाकाम रहा, इस बात का स्पष्ट उदाहरण जॉऊ हैं, जिससे अपनी आपबीती आज पूरी दुनिया में साझा की, उनके अनुसार संस्थागत नस्लवाद का पूर्णत: अंत ही इस समस्या का हल हैं, इसी प्रकार क्वीन की दूसरे वर्ष की छात्रा मीना वसीम की कहानी भी निराशाजनक हैं जब उनके साथ भी अपनी क्लास के दूसरे दिन ही अभद्र व्यवहार किया गया जिसका मूल कारण उनके अश्वेत होना था। मीना ने बताया कि उन टिप्पणी की गई कि वे वास्तविक मुस्लमान नहीं हैं और यदि वह मुस्लमान हैं तो किसी न किसी आतंकवादी गुट से संबंधित हैं, इन्हीं टिप्पणियों के कारण कभी-कभी उनकी इच्छा पढ़ाई करने की भी नहीं होती थी। ब्रोवर का कहना है कि इस समस्या का हल तभी हो सकेगा जब सरकार पुलिस विभाग की भांति स्कूल व अन्य शैक्षणिक संथाओं में भी संस्थागत नस्लवाद को रोकने के लिए उचित कदम उठाएं और समय-समय पर वर्तमान कार्यन्वित प्रणाली को सुधारा जा सके।
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