माघ माह में पृथ्वी पर मनुष्य रूप में आते हैं देवता
माघ माह को अत्यंत पवित्र माह माना जाता है। मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इस माह का नाम माघ पड़ा। माघ शब्द का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। इस माह कई धार्मिक पर्व आते हैं। मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण कर प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। माघ माह को स्नान, जप, तप का माह माना जाता है। इस माह दान अवश्य करना चाहिए। माघ पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस तिथि पर स्नान, दान और जप को बहुत फलदायी बताया गया है। इस माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणपति के पूजन का विशेष महत्व है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्र कुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ नाम से भी जाना जाता है। माघ माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहते हैं। माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और जरूरतमंदों को दान अवश्य देना चाहिए। माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान सदा प्रसन्न रहते हैं। माघ माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। इस दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, घी और गाय के लिए भोजन का दान करें। माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस माह में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है जिससे व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना की जाती है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को रथ सप्तमी या माघ सप्तमी के रूप में जाना जाता है। माघ मास की शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि माघ मास में जो तपस्वियों को तिल दान करता है, वह नरक का दर्शन नहीं करता। माघ माह में हल्का भोजन करना चाहिए। इस महीने तिल और गुड़ का प्रयोग लाभकारी होता है।
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