ब्रिक्स देशों ने किया प्रोत्साहन की धीमी वापसी का आह्वान
सेंट पीट्सबर्ग, भारतीय रुख को स्वीकार करते हुए और जी20 शिखर सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से कुछ घंटे पहले ब्रिक्स देशों के नेताओं ने गुरुवार को समृद्ध देशों द्वारा अपनाई जा रही प्रोत्साहन की नीति की धीमी वापसी का आह्वान किया। इन देशों ने कहा कि इसके कारण विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पहले ही प्रभावित हुई है और आगे भी इसके कारण प्रभावित हो सकती है।
ब्रिक्स देशों में शामिल हैं-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका।
ब्रिक्स देशों के नेताओं ने ब्रिक्स के नेतृत्व में नए विकास बैंक (एनडीबी) और आपात भंडार व्यवस्था (सीआरए) की स्थापना की दिशा में हुए विकास पर संतोष जताया।
भारतीय पक्ष की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, सीआरए की स्थापना के विभिन्न पहलुओं और संचालन विवरणों पर सहमति बन गई। डरबन में बनी सहमति के मुताबिक शुरू में सीआरए का आकार 100 अरब डॉलर होगा।
बैठक में शामिल ब्रिक्स नेताओं में थे-मनमोहन सिंह, ब्राजील की डिल्मा रूसेफ, रूस के ब्लादिमीर पुतिन, चीन के जी जिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के जैकब जुमा।
बयान के मुताबिक सीआरए में शुरू में विभिन्न देशों का योगदान इस प्रकार होगा-चीन : 41 अरब डॉलर, ब्राजील, भारत और रूस : 18 अरब डॉलर प्रत्येक और दक्षिण अफ्रीका : पांच अरब डॉलर।
हाल में वित्तीय बाजार में उथल-पुथल के आलोक में नेताओं ने कुछ विकसित देशों में जारी वित्तीय प्रोत्साहन की वापसी पर चिंता जताई।
बयान के मुताबिक, उनमें यह सहमति बनी कि मौद्रिक नीति को सामान्य करते समय इसे एक निश्चित नियमों के तहत किया जाना चाहिए और इसकी स्पष्ट जानकारी वितरित की जानी चाहिए।
मनमोहन सिंह ने कहा है कि विकसित देशों को ऐसी नीति पर नहीं चलनी चाहिए, जिसका नकारात्मक असर विकासशील देशों पर पड़े और सभी देशों को संयुक्त रूप से रोजगार सृजन और निवेश में वृद्धि पर जोर देना चाहिए।
सिंह ने कहा, सेंट पीट्सबर्ग में मैं विकसित देशों द्वारा पिछले कुछ सालों से अपनाई गई अपारंपरिक नीति को धीमे-धीमे वापस लिए जाने पर जोड़ दूंगा, ताकि विकासशील देशों का विकास अवरुद्ध नहीं हो।
ब्रिक्स नेताओं ने यह महसूस किया कि जी20 सहित बड़ी अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक मांग बढ़ाने और बाजार में उत्साह का संचार करने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं।
ब्रिक्स बैंक के बारे में बयान में कहा गया कि पूंजी संरचना, सदस्यता, शेयरधारिता और प्रशासन पर बातचीत आगे बढ़ी। बयान के मुताबिक ब्रिक्स देश का शुरुआती योगदान 50 अरब डॉलर होगा।
बयान के मुताबिक, एनडीबी और सीआरए पर वार्ता के विकास के आलोक में ब्रिक्स नेताओं ने उम्मीद जताई कि अगले शिखर सम्मेलन तक दिख सकने योग्य परिणाम सामने आ जाना चाहिए।
Comments are closed.