फॉरटीन जांच पर लिबरलस ने साधी चुप्पी
औटवा। लिबरल सरकार ने स्पष्ट करते हुए कहा कि कोविड-19 वैक्सीनेशन कैम्पेन में जनरल डैनी फॉरटीन के परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस बारे में और अधिक कोई जानकारी नहीं देने से विपक्ष पुन: लिबरलस पर हावी होता नजर आ रहा हैं। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों मेजर जनरल डैनी फॉरटीन द्वारा भी सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर कई सवाल उठाएं थे, जिसके कारण उन्हें इस पद से हटाते हुए सरकार ने दूसरे सैन्य अधिकारी की नियुक्ति की, वहीं फॉरटीन के ऊपर सैन्य जांच आरंभ होने के कारण भी सरकार ने इस परिवर्तन को उचित ठहराया। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अभी फिलहाल फॉरटीन की जांच के बारे में भी खुलासा नहीं किया गया हैं जिससे स्थितियां अभी भी संदिग्ध बनी हुई हैं। वहीं कंसरवेटिव प्रारंभ से ही मेजर फॉरटीन की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि इस बारे में सरकार इसलिए छुपा रही हैं क्योंकि फॉरटीन पर यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगाएं जा रहे हैं।
गौरतलब है कि सरकार का मानना है कि इस प्रकार से प्रचार अभियान से फॉरटिन को हटाने का कोई भी नुकसान नहीं होगा और न ही प्रचार अभियान मध्य में ही रोका जाएंगा। ब्रिगेडियर जनरल क्रिस्टा को उनकी नियुक्ति के अंतिम क्षणों तक नहीं बताया गया, ज्ञात हो कि 30 वर्षीय इस महिला सैन्य अधिकारी ने अपनी नियुक्ति होने तक फॉरटिन के साथ सहयोगी के रुप में कार्य किया। ज्ञात है कि सरकार ने अपने वैक्सीनेशन प्रचार अभियान में फॉरटिन की नियुक्ति गत वर्ष नवम्बर में की थी, जिसके पश्चात से विवादों के घेरे में फंसती लिबरल सरकार ने एक बार फिर से अपना फैसला बदला। बताया जा रहा है कि विवादों के दबाव के कारण लिबरलस ने यह फैसला लिया और अपने द्वारा नियुक्त अधिकारी को ही बदलकर नई महिला अधिकारी की नियुक्ति की जिससे कोई भी नया विवाद जन्म ही न लें। राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार पहले ही विपक्ष द्वारा वेन्स को लेकर केंद्र सरकार पर बहुत अधिक दबाव बनाया जा रहा था और अब फॉरटिन पर भी उसी प्रकार के यौनाचार के आरोपों और फॉरटिन द्वारा खुद सरकार विरोधी बयानों से तंग आकर सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया। इस परिवर्तन पर भी विपक्ष द्वारा विस्तृत जांच की मांग उठाई जा रही हैं, कंसरवेटिव प्रमुख ईरीन ओटूले का मानना है कि सरकार की यदि सभी नियुक्तियों की पारदर्शी जांच की जाएं तो अवश्य ही सभी अधिकारी यौन उत्पीड़न के वास्तविक दोषी पाएं जाएंगे और उनकी नियुक्ति को लेकर लापरवाही बरतने पर प्रधानमंत्री ट्रुडो पर भी सख्त कार्यवाही होने की पुष्टि की जाएंगी।
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