कैमलूप्स स्कूल की घटना से प्रभावित लोगों की हरसंभव मदद की जाएंगी : ट्रुडो

- प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने माना कि ब्रिटीश कोलम्बिया के आवासीय स्कूल में बच्चों के शव मिलना इकलौती ऐसी घटना नहीं

औटवा। प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने सोमवार को कहा कि एक स्कूल परिसर में 215 से अधिक बच्चों के शव दफन पाए जाने की घटना इस तरह की इकलौती घटना नहीं है। इस स्कूल को कभी कनाडा का सबसे बड़ा आवासीय विद्यालय माना जाता था। इस घटना के सामने आने के बाद सामुदायिक नेताओं ने मांग की कि हर उस स्थान की जांच की जाए जहां कभी कोई आवासीय स्कूल रहा हो। इसी की पृष्ठभूमि में ट्रुडो ने यह टिप्पणी की। ब्रिटिश कोलंबिया के सैलिश भाषा बोलने वाले एक समूह फर्स्ट नेशन की प्रमुख रोसेन कैसमिर ने कहा कि जमीन के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने वाले रडार की मदद से 215 बच्चों के शव मिले। इनमें कुछ तीन वर्ष की उम्र के बच्चों के शव हैं। उन्होंने शुक्रवार को बताया कि और शव मिल सकते हैं क्योंकि स्कूल के मैदान पर और हिस्सों की तलाशी ली जानी है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी क्षति है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती और कैमलूप्स इंडियन रेजीडेंशियल स्कूल के दस्तावेजों में कभी इसका जिक्र नहीं किया गया। ट्रुडो ने कहा,”प्रधानमंत्री के तौर पर उस शर्मनाक नीति के कारण स्तब्ध हूं जिसमें देश के बच्चों को उनके समुदायों से चुरा लिया जाता है। दु:ख की बात तो यह है कि यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है।” उन्होंने कहा, ”हमें सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा। आवासीय विद्यालय हमारे देश में एक सच्चाई है-एक त्रासदी हैं। बच्चों को उनके परिवारों से ले लिया जाता है और या तो उन्हें लौटाया ही नहीं जाता या फिर बुरी हालत में लौटाया जाता है। गौरतलब है कि 19वीं सदी से 1970 के दशक तक फर्स्ट नेशन के 1,50,000 से अधिक बच्चों को कनाडाई समाज में अपनाने के कार्यक्रम के तौर पर सरकार के वित्त पोषण वाले ईसाई स्कूलों में पढ़ना होता था।
इस मामले में प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने एक ट्वीट किया है और घटना को दिल तोड़ देने वाला बताया है, ट्रुडो ने ट्वीट में लिखा है,”पूर्व कंपूल्स रेजिडेंशियल स्कूल में अवशेष मिलने की खबर ने मेरा दिल तोड़ दिया है, हमारे देश के इतिहास के उस काले और शर्मनाक अध्याय के बारे में याद करना दर्दनाक है।” ट्रुडो ने कहा है,”मैं उन सभी लोगों के बारे में सोच रहा हूं, जो इस परेशान कर देने वाली खबर से प्रभावित हुए हैं। हम यहां आपके लिए हैं.’ ब्रिटिश कोलंबिया में स्थित ये स्कूल साल 1978 में ही बंद हो गया था। स्थानीय जनजाति ने बताया है कि कंपूल्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल में ये अवशेष जमीन भेदक रडार विशेषज्ञ की मदद से मिले हैं। एक बयान जारी कर समूह ने कहा है,”हमें पता है कि हम अपने समुदाय के लोगों की पहचान कर सकते हैं, इस समय हमारे पास जवाब से ज्यादा सवाल हैं।”
2015 में आई थी जांच रिपोर्ट :
करीब छह साल तक चली जांच के परिणाम साल 2015 में सामने आए थे, जिसमें पता चला था कि कैनेडा में उस वक्त के स्कूल सिस्टम के तहत आदिवासी बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग रखा जाता था. इस दौरान ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ किया गया था। इसके अलावा जांच की रिपोर्ट में काफी हैरान कर देने वाली बातें सामने आई थीं, कैनेडियन सरकार की ओर से 1840-1990 के दशक तक कुछ चर्चों द्वारा चलाए जाने वाले इस तरह के स्कूलों में बच्चों के साथ रेप होता था, उनकी हत्या की जाती थी, उन्हें भूखा रखा जाता था और अन्य कई तरह के जुल्म ढाए जाते थे।
4,100 बच्चों की हुई मौत :
इन अमानवीय कृत्यों का शिकार 150,000 बच्चे बने थे। रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही 4,100 बच्चों की मौत हो गई थी, अब इन बच्चों के अवशेष जमीन के नीचे मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इन्हें मारने के बाद दफना दिया गया था, इसके साथ ही मृतक बच्चों में इनकी संख्या भी शामिल नहीं है। यानी अभी तक किसी को इनके बारे में पता ही नहीं था। स्कूल सिस्टम को लेकर साल 2008 में कैनडियन सरकार ने आधिकारिक तौर पर माफी भी मांगी थी।

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