9/11 हमला : 12 साल बाद, आज भी वह चीखें देती हैं दर्द

न्यूयार्क, 12 साल पहले आज ही के दिन जब दुनिया भर में लोगों ने अपना टीवी खोला, तो क्या सरहदें और क्या विचारधारा, हर किसी की आंखें अमेरिका में हुए उस हादसे के लिए नम थीं, जिसे अब तक का सबसे खौफनाक आतंकी हमला कहा जा सकता है। इतिहास में वह हादसा बेशक सिर्फ 9/11 के नाम से दर्ज हो गया हो लेकिन उस दिन की वह चीखें आज 12 साल बाद भी इंसान की रुह कंपा देती हैं।
अमेरिका के सबसे संपन्न शहर और दुनिया भर के सैलानियों की चहेती मंजिल न्यूयॉर्क का वह एक आम खुशनुमा दिन था। सब अपने काम में व्यस्त थे, जब अचानक दो गरजती आवाजों ने इस माहौल को चीखों में, और कुछ देर बाद इसे कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया। यह आवाजें थीं अल-कायदा आतंकियों द्वारा न्यूयॉर्क की सबसे प्रतिष्ठित व ऊंची इमारतों पर किए गए हमले की। हाइजैक करने के बाद एक आत्मघाती हमले में अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 11 और यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 को उसके सैकड़ों पैसेंजर्स के साथ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आतंकियों ने झोंक दिया। हमला इतना भयावह था कि इसे टीवी में देखने वाले तो कांप ही गए, सोचिए उन इमारतों के करीब मौजूद लोगों के जहन पर क्या असर छूटा होगा। दो घंटों के भीतर दुनिया भर के हजारों प्रतिनिधियों के साथ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की दो बेशुमार इमारतें ताश के पत्तों की तरह जमींदोज हो गईं। पूरी दुनिया सदमें में थीं, और अमेरिका गुस्से, डर व दर्द की रस्सी पर झूल रहा था।
अल-कायदा द्वारा किया गया यह अब तक के इतिहास का सबसे खतरनाक हमला था। 19 आतंकियों ने प्लान के मुताबिक 4 अमेरिकी यात्री विमानों को कब्जे में लिया और उन्हें अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए लेकर निकल पड़े। वर्ल्ड ट्रेड सेंट के बाद एक तीसरा अन्य हवाई जहाज अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 77 को अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट की दुनिया की सबसे सुरक्षित इमारत पेंटागन में झोंक दिया गया। जिसकी वजह से पेंटागन के पश्चिमी हिस्से को काफी नुकसान हुआ। चौथा हवाई जहाज यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93 का लक्ष्य अमेरिका के लिए सबसे खौफनाक साबित हो सकता था लेकिन इस फ्लाइट के यात्रियों की दिलेरी और देशभक्ति के चलते आतंकी ऐसा नहीं कर पाए। इस जहाज को वॉशिंगटन डीसी में जाकर झोंकने की तैयारी थी लेकिन अपनी जान की परवाह करते बिना उस जहाज के यात्रियों ने आतंकियों से जूझते हुए प्लेन को शैक्सविले, पेंसिलवेनिया के खेतों में क्रैश करने पर मजूबर कर दिया और अमेरिका का राजनीतिक केंद्र वॉशिंगटन डीसी सुरक्षित रह सका।
उन दर्दनाक हमलों में तकरीबन 3000 लोगों की जान गई, जिसमें जहाजों में मौजूद 227 यात्री भी शामिल थे। हालांकि अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन ने शुरुआत में इस हमले में अपनी भूमिका से इंकार कर दिया था लेकिन 2004 में उसने इन हमलों की जिम्मेदारी ले ली। गुस्से से लाल अमेरिका ने अपनी पूरी सैन्य शक्ति को झोंकते हुए अफगानिस्तान पर हमला बोला और सालों तक तालिबान को ध्वस्त करने के अपने अभियान में बेशक वह काफी हद तक सफल रहा लेकिन अफगानिस्तान में उसे ओसामा का नामोनिशान तक नहीं मिला। हालांकि 2 मई 2011 को एक लंबे खुफिया अभियान के बाद अमेरिका ने ओसामा को पाकिस्तान के एबटाबाद में खोज निकाला और रातों-रात धावा बोलते हुए ओसामा को मार गिराया और तकरीबन 10 साल पहले अमेरिका पर किए गए उस दर्दनाक हादसे का बदला लिया।

 

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