तालिबान में शांति स्थापना हेतु स्थिति स्पष्ट करने की मांग दोहराई
औटवा। कैनेडियन सैनिकों ने एक बार फिर से अपनी सुरक्षा को लेकर वैश्विक मंच पर गुहार लगाई हैं, जिसके अंतर्गत कैनेडियन सैनिकों और अफगानी दुभाषियों ने केंद्र से प्रार्थना करते हुए कहा कि तालिबान में शांति बहाल करने के लिए उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाएं, क्योंकि इस समय तालिबान की स्थिति बहुत अधिक गंभीर बनी हुई हैं और कब किसकी मृत्यु हो जाएं इस बारे कोई भी सुनिश्चित जवाब नहीं दे सकता। वर्ष 2016-17 से नाटो के माध्यम से तालिबान में सैनिकों को नियंत्रित करने के लिए वहां नियुक्त कैनेडियन सैनिकों और एक दुभाषिया रहीम ने बताया कि वे अपना जीवन डर, भय और आतंक के मध्य बीता रहे हैं और जल्द ही उन्हें इस भयावह वातावरण से मुक्ति दिलवाई जाएं जिससे वे सामान्य जीवन बीता सके। रहीम ने यह भी कहा कि उसके साथ यहां उसके माता-पिता, साली और चार भतीजे और भतीजियां भी रहते हें जिनकी आयु 11 से 23 वर्ष के मध्य हेँ इन सभी पर जान का खतरा हर समय मंडराता रहता हैं।
ज्ञात हो कि तालिबान के साथ हुए करार के तहत अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी देश आतंकवादियों के इस वादे के बदले अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गये कि वे चरमपंथी संगठनों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां चलाने से रोकेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से बुला लिये जाएंगे।
उन्होंने कहा, ” और मुझ जैसे जो लोग यह कहते रहे कि कोई सैन्य समाधान नहीं (संभव) है, क्योंकि हमें अफगानिस्तान का इतिहास मालूम था, तब हमें — मुझ जैसे लोगों को अमेरिका-विरोधी कहा गया। अमेरका को बहुत पहले ही राजनीतिक समाधान का विकल्प चुनना चाहिए था जब अफगानिस्तान में नाटो के डेढ़ लाख सैनिक थे। लेकिन जब उन्होंने सैनिकों की संख्या घटाकर महज 10000 कर दी तब , जब उन्होंने वापसी की तारीख बता दी, तब तालिबान ने सोचा कि वे तो जीत गये। इसलिए अब उन्हें समझौते के लिए साथ लाना बड़ा मुश्किल है।ÓÓ जब साक्षात्कारकर्ता ने पूछा किया क्या वह सोचते हैं कि तालिबान का उभार अफगानिस्तान के लिए एक सकारात्मक कदम है तो स्थानीय नेताओं का मानना है कि केवल अच्छा नतीजा राजनीतिक समझौता होगा ”जो समावेशी हो।ÓÓ उन्होंने कहा, ” निश्चित ही, तालिबान सरकार का हिस्सा होगा।ÓÓ
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