टोरंटो। बसंत के मौसम में कैनेडा की जलवायु में आएं अचानक परिवर्तन ने एक बार फिर से मौसमविदें की चिंता को बढ़ा दिया हैं, इस समय जहां कैनेडा में ठंड का माहौल बना रहता था, वहीं ठंडा तापमान तेजी से सामान्य हो रहा हैं, जिसके कारण जंगलों में रहने वाले बीयरस अब अपनी शीतनिंद्रा को छोड़कर बाहर खुले क्षेत्रों की ओर अपना रुख कर रहे हैं, इस असमय हुई घटना पर अपनी टिप्पणी देते हुए पर्यावरण विदें का मानना है कि इस प्रकार से अचानक जलवायु परिवर्तन देश की स्थितियों में बदलाव कर सकता हैं, जिसके लिए हमें प्राकृतिक संतुलन बनाने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान वानिकी रिपोर्ट के अनुसार कई वन्य प्राणी अपनी शीतनिंद्राओं को त्यागकर शहरों की ओर अपना प्रस्थान कर रहे हैं, फिलहाल जंगलों के निकटवर्ती क्षेत्रों में चेतावनी जारी कर दी हैं कि इस प्रकार के भयानक जंगली जानवरों को देखने पर घबराएं नहीं ओर स्थिति को जूझ-ढूझ कर हल करें। हिंटरलैंड के कॉ-ओर्डिनेटर और भौतिकविद् एनी लैन्गलोइस ने मीडिया को बताया कि वर्तमान मौसम परिवर्तनों पर केंद्र सरकार को अपना पहला कदम उठाना होगा, जिसके कारण वर्तमान परिस्थितियों को हल करते हुए केंद्र सरकार को अब स्वयं इसमें दखल देना होगा, तभी हम चुनिंदा जंगली जानवरों का संरक्षण कर सके ओर सूत्रों के अनुसार इससे पूर्व ये कैनेडियन अत्यधिक ठंड वाले महीनों में गहरी निंद्रा में सो जाते हैं, और जैसे ही गर्मियां आरंभ होती थी, वैसे ही वे अपनी निंद्रा को समाप्त कर अपने होने की पुष्टि करते हैं। लैन्गलोइस ने मीडिया में यह भी बात कहीं कि वन्यजीव केवल अपने जीवन-यापन के लिए ही संसाधनों में परिवर्तन करते हैं, वहीं दूसरी ओर मनुष्य केवल अपनी निजी स्वार्थ के लिए निकटवर्ती संसाधनों से छेड़कानी करता हैं ।
एनी ने अपने साक्षात्कार में यह भी कहा कि इन वन्यजीवों को विशेष रुप से भोजन की तलाश होती हैं और जब तक उन्हें भोजन नहीं मिलता तब तक उनका प्रस्थान जारी रहेी। बसंत में आमतौर पर हल्की ठंड रहती थी, जिसके कारण बीयरों को ओर अधिक गहरी नींद आती थी, लेकिन इस बार कई बार बीयरों को देखा गया हैं। मौसमविदें ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों को समझना होगा कि हमारी लापरवाही के कारण ही जंगलों में अनियमितताएं बढ़ती जा रही हैं और अपनी भूख को शांत करने के लिए वे शहरों का रुख अपना रहे हैं, इसी श्रेणी में कई भालूओं को शहरों के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखा गया हैं।
जानकारों के अनुसार ये भालू वास्तव में डऱपोक होते हैं और मनुष्यों से अधिक डऱते हैं, लेकिन इनके विशालकाय शरीर को देखकर आम नागरिक इससे डऱ जाते हैं और हमला करते हैं, जिसके कारण अपने बचाव में ये भालू भी हमला करते हैं। वानिकी मंत्रालय ने इस बात को सामान्य बताते हुए कहा कि इससे पूर्व अप्रैल के मध्य में इन जानवरों को देखा जा सकता था, लेकिन इस बार फरवरी के अंत में ही इनका दिखना पर्यावरण बदलाव को दर्शा रहा हैं।
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