टोरंटो। प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो कैनेडा के पिछले दो चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप मामलें की कथित जांच के संबंध में अपनी गवाही भी दे सकते हैं। ज्ञात हो कि इस बारे में विपक्ष का दावां है कि चीन सहित कई अन्य देशों के प्रभाव से पिछले आम चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया था। लेकिन इस संबंध में अभी तक कैनेडियन जांच एजेंसी को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया हैं।
सूत्रों का यह भी मानना है कि ट्रुडो के कार्यकाल में आयोजित चुनावों में किसी भी प्रकार से विदेशी हस्तक्षेप की कार्यवाही नहीं हो पाई हैं, ये चुनाव पूर्ण रुप से विदेशी हस्तक्षेप मुक्त और पारदर्शी थे, जबकि विपक्ष का मानना है कि लिबरल सरकार अपने बचाव के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए जांच को सही प्रकार से करना चाहिए जिससे मामले को हल किया जा सके। वहीं अभी हाल ही में संसदीय प्रमुख करीना गाउल्ड ने बताया कि वर्तमान में वह मातृत्व अवकाश पर हैं, नहीं तो इस मामले की जांच प्रमाण अभी तक आ जाती हैं।
इसके अलावा कमीश्नर ने भी माना था कि गत चुनावों में अवश्य गड़बड़ी हुई थी, जिसके कारण ये जांच रखी गई हैं। असल में हुआ ये कि बीते कुछ समय से ट्रुडो के खिलाफ उनके अपने ही देश में हवा बन रही हैं, उनके काम के तौर-तरीकों पर सवाल होती रहा, साथ ही विपक्ष को ये संदेह भी है कि उनके चीन के साथ संबंध देश को गलत दिशा में ले जाएंगे। विपक्ष में इन्हीं आरोपों का जवाब देने के लिए ट्रुडो को कमेटी बनानी पड़ी। इसके सदस्य जांच करेंगे कि चीन, रुस, भारत या दूसरे किसी भी देश ने कैनेडियन चुनावों पर कितना असर डाला हैं, ये जांच साल 2019 ओर 2021 के इलेक्शन पर होगी।
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कैनेडा का चुनाव पारदर्शी रहा हो या नहीं, इसकी पड़ताल होती रहेगी। लेकिन ये बात जरुर है कि बहुत से देश अपने पड़ोसियों या दुश्मन देशों के चुनाव में दखल देते रहे। इसमें सबसे ऊपर अमेरिका रहा। एक समाचार के अनुसार साल 1946 से लेकर 2000 के भीतर देशों में कुल 939 इलेक्शन हुए, इसमें से अमेरिका में कई चुनावों में विदेशी ताकतों द्वारा हस्तक्षेप की बात को माना गया था, लेकिन इस संबंध में अभी तक उचित साक्ष्य नहीं मिलने के कारण किसी भी देश पर आरोप की पुष्टि नहीं हो पाई थी।
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गौरतलब है कि कैनेडा के इन आरोपों को आरोपी देश पहले से ही सिरे से नकारते रहे हैं और उनका मानना है कि कैनेडा अपने आंतरिक मामलों के लिए स्वयं ही जांच-पड़ताल करें इस प्रकार से आरोप-प्रत्यारोप की विदेशी रणनीति को न अपनाएं, इससे आपसी रिश्तों में कड़वाहट और अधिक बढ़ेगी।
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