आक्रामक पौधों के नियंत्रण हेतु बकरियां की गई तैनात

- जानकारों के अनुसार पूर्वी मैडोज में आक्रामक पौधों से सुरक्षा के लिए अपनाई गई नई तकनीक : सिटी ऑफ टोरंटो

Goats deployed to control invasive plants

टोरंटो। सिटी ऑफ टोरंटो द्वारा हरित क्षेत्रों में उगने वाले आक्रामक पौधों से बचने के लिए एक नई तकनीक का प्रयोग किया गया, जिससे अन्य पौधों को नुकसान भी नहीं पहुंचे और अधिक कीटनाशकों का प्रयोग कर पर्यावरण को भी दूषित होने से बचाया जा सके। इसके लिए डॉन वैली ब्रिक वक्र्स पार्क में गत 25 और 26 जून को कुछ बकरियों के झुंड तैनात किए गए।

आक्रामक प्रजातियों के उपचार के लिए शाकनाशी सबसे प्रभावी और संसाधन-कुशल उपकरणों में से एक हैं। अधिकांश सामान्य रूप से ज्ञात आक्रामक पौधों का उपचार केवल दो शाकनाशियों- ग्लाइफोसेट (राउंडअप और रोडियो में सक्रिय घटक) और ट्राइक्लोपायर (ब्रश-बीगॉन और गार्लोन में सक्रिय घटक) का उपयोग करके किया जा सकता है। ग्लाइफोसेट गैर-चयनात्मक है, जिसका अर्थ है कि यह संपर्क में आने वाली हर चीज को मार देता है। ट्राइक्लोपायर चयनात्मक है और मोनोकॉट्स (घास, ऑर्किड, लिली, आदि) को नुकसान नहीं पहुँचाता है।

ये अपेक्षाकृत सौम्य शाकनाशी हैं, लेकिन अनुचित तरीके से उपयोग किए जाने पर वे अभी भी अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय समस्याओं का कारण बन सकते हैं। आर्द्रभूमि क्षेत्रों में काम करते समय विशेष जलीय फॉर्मूलेशन की आवश्यकता होती है। इन रसायनों को उस भूमि पर लगाने के लिए आपके पास राज्य द्वारा जारी कीटनाशक एप्लीकेटर लाइसेंस होना आवश्यक है, जिस पर आपका स्वामित्व नहीं है। हम किसी भी खरपतवार योद्धा को जिले में आक्रामक पौधों को हटाने के लिए रासायनिक नियंत्रण का उपयोग करने के लिए अधिकृत नहीं करते हैं।

इस प्रक्रिया के माध्यम से आक्रमक, विदेशी या अयोग्य पौधों की प्रजातियों को जैसे गार्लिक मस्टर्ड, पॉयजन आईवी और वाल्इड पर्सनिप आदि मुख्य रुप से शामिल हैं। इसके अलावा इस योजना में मैडोज के मैदानों से वुडी हरियाली को भी समाप्त करने में मदद मिलेगी। जानकारों का यह भी कहना है कि इससे न केवल मृदा की उर्वरा को बढ़ाने में मदद मिलेगी अपितु पौधों की पोषकता में भी वृद्धि होगी। इन पौधों को समाप्त करने से कार्बन उत्सर्जन, ध्वनि प्रदूषण और मैकनीकल यंत्रों के आश्रय संबंधी प्रभावों को भी कम करने में मदद मिलेगी। इन पौधों के विचरण से संबंधित पशुओं को भी एक स्थान पर रखने में मदद मिलेगी।

इस योजना में न केवल देशी मूल प्रजातियों के पौधों को भी बड़ी संख्या में उगाया जा सकेगा, जिससे विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को भी विकसित करने में मदद मिलेगी। इस विधि में खरपतवार आदि को जलाने आदि की समस्या से भी छुटकारा मिल सकेगा और कृषि संबंधी उत्पादकों का भी बहुत अधिक समय बचेगा, जिसे पहले वे इन पौधों के प्रबंधन में नष्ट करते थे, इसलिए सिटी ऑफ टोरंटो द्वारा इन पौधों के विचरण हेतु बकरियों को सुनिश्चित किया हैं, यदि यह पायलट परियोजना सफल रहती हैं तो देश के अन्य हरित प्रांतों में भी इसे अपनाने के लिए सलाह दी जाएंगी, जिससे लोगों को और अधिक लाभ मिल सके।

सिटी अधिकारियों द्वारा यह भी बताया गया कि इन हरित क्षेत्रों में जिन बकरियों को तैनात किया जा रहा हैं वे आम बकरियां नहीं अपितु विशेष प्रजाति की बकरियां हैं जो खास तौर पर न्यूजीलैंड में पाई जाती हैं और इस प्रकार से बकरियों को हरित मैदानों में छोड़कर खरपतवारों को खिलाने की प्रक्रिया को कीको कहते हैं। इसमें अनुमानित 60 बकरियों को तीन दिनों के लिए लगभग एक एकड़ भूमि पर चराई के लिए छोड़ा जाता हैं, जिसके लिए फिलहाल 40 बकरियों को डॉन वैली ब्रिक वक्र्स पार्क में छोड़ा जाएंगा। इस परियोजना में बकरियों के पानी पीने की भी व्यवस्था की गई हैं।

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