मॉन्ट्रीयल। गत वर्ष देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी प्रोगरेसीव कंसरवेटिव के प्रमुख पीयरे पोईलीव्रे का संदेश दोहराते हुए गत गुरुवार को असेम्बली ऑफ फस्र्ट नेशन (एएफएन) को संबोधित करते हुए दुआने गैसटेंट आउकोइन ने माना कि पोइलीव्रे की बात विचारणीय हैं और उनका तर्क उचित हैं, जिन्होंने हमारे अधिकारों के लिए कई बार केंद्र सरकार को आगाह करते हुए उस उचित कार्य करने की अपील की हैं।
उन्होंने यह भी माना कि अब समय आ गया है कि संबंधित विषयों पर उचित कार्य किया जाएं, इसके लिए हाथ-पर-हाथ रखकर नहीं बैठा जा सकता। अपने समुदाय के उत्थान हेतु हमें स्वयं ही लडऩा होगा, नहीं तो आने वाली सभी सरकारें इसी प्रकार से वादा करके अपने वादों से मुकर जाएंगी।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष पोईलीव्रे ने अपने एक साक्षात्कार में वर्तमान लिबरल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे देश की मूल प्रजातियों के लिए कुछ भी नहीं कर रहें और न ही उनके उत्थान हेतु नई परियोजनाओं से जोडऩे के लिए कोई नया प्रस्ताव लाने वाले हैं। आंतरिक जानकारों का यह भी मानना है कि सरकार ने अभी तक पिछली नीतियों पर भी कोई हस्तक्षेप करते हुए उन्हें सुधारने का प्रयास किया हैं बल्कि नई नीतियों को आरंभ करने के लिए कोई योजना बनाई हैं।
आउकोईन क्यूईर यूकॉन के सामाजिक निदेशक हैं और उनका मानना है कि हमारे समाज का उत्थान सरकारी मदद के बिना नहीं हो सकता, नहीं तो अभी की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए यह प्रतीत हो रहा है कि हमारे समाज के उत्थान के लिए हमें लडऩा होगा और अपने अधिकारों को किसी भी कीमत में नहीं छोडऩा हैं। उन्होंने यह भी माना कि फस्र्ट नेशन के कई समुदाय आज भी कंसरवेटिवस से नाराज हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पीसी पार्टी ने अपने कार्यकाल के दौरान कोई भी ऐसा प्रस्ताव या योजना को पारित नहीं किया जिससे उनके समुदाय का विकास हो सके।
लेकिन पोईलीव्रे ने उनका विश्वास जीतते हुए कहा कि अब समय बदल गया हैं और न ही वे नेता इस पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं जो आदिवासियों को एक पिछड़ी व कमजोर प्रजाति समझकर कभी भी उनके उत्थान हेतु कार्य करते थे, लेकिन अब समय बदल चुका हैं और आदिवासी समाज भी स्वयं के उत्थान हेतु परिश्रम कर रहे हैं। आउकोईन ने यह भी कहा कि अब चुप्पी तोडऩे का समय आ गया हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हमारे द्वारा शहरी लोगों को इसके लिए दु:खी किया जाएं।
उनका यह भी कहना है कि पोइलीव्रे से पूर्व कंसरवेटिवस में कोई भी ऐसा नेता नहीं आया जिन्होंने कैनेडियन आदिवासी समुदायों के लिए उत्थान की बात को स्वीकारा हो। लेकिन अब पोइलीव्रे ने हमारा दर्द समझा और हमारी युवा पीढ़ी को भी शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के बराबर विकसित करने की बात को स्वीकारा।
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