टोरंटो। गत गुरुवार को आयोजित असेम्बली ऑफ फस्र्ट नेशनस ने यह सुनिश्चित किया गया कि केंद्र सरकार अगले दस वर्षों के लिए 47.8 बिलीयन डॉलर की वित्तीय सहायता करेगी, जिसके अंतर्गत फस्र्ट नेशन बाल व परिवार कल्याण सेवाओं को सुधारने के लिए कार्य किया जाएंगा। एएफएन नेशनल चीफ सीन्डी वूडहाऊस नेपीनेक ने घोषणा करते हुए कहा कि फस्र्ट नेशन की आयोजित बैठक के अंतिम दिन यह निण्रय लिया गया, दो दिवसीय बैठक को मॉन्ट्रीयल में रखा गया था, इस फंडींग से फस्र्ट नेशन के बच्चों और उनके परिवारों के कल्याण की योजनाओं को पूरा करने के लिए कार्य किया जाएंगा।
उन्होंने यह भी माना कि हमें अपने पुराने सिस्टम को बदलना होगा और आधुनिक गतिविधियों को साकार करते हुए योजनाओं को बढ़ाना होगा। आदिवासी सेवा मंत्री पैटी हादजू ने भी माना कि फस्र्ट नेशन के परिवारों के उत्थान हेतु लगातार कार्य किए जा रहे हैं। हादजू ने यह भी माना कि केंद्र सरकार वर्ष 2021 की तुलना में दोगुनी वित्तीय सहायता की बात को स्वीकार कर रही हैं, उन्होंने यह भी कहा कि लिबरलस सदैव ही फस्र्ट नेशन के उत्थान हेतु कार्य करती रही हैं और इसी श्रेणी में यह घोषणा की गई हैं, जिससे भविष्य की अन्य योजनाओं के साथ इसे जोड़ा जा सके। वर्ष 2019 में भी सरकार ने इस संबंध में अधिकतम मानव अधिकारी जुर्माना 40,000 डॉलर सुनिश्चित किया था, जिससे यदि कोई भी व्यक्ति इन बच्चों का संबंधित दोषी पाया जाता है तो उसे सुनिश्चित जुर्माना अवश्य भरना होगा। इसी श्रेणी में पिछले वर्ष भी 23 बिलीयन डॉलर की हर्जाना राशि को अनुमोदित किया गया था।
आंतरिक जानकारों का यह भी मानना है कि सरकार ने अभी तक पिछली नीतियों पर भी कोई हस्तक्षेप करते हुए उन्हें सुधारने का प्रयास किया हैं बल्कि नई नीतियों को आरंभ करने के लिए कोई योजना बनाई हैं। आउकोईन क्यूईर यूकॉन के सामाजिक निदेशक हैं और उनका मानना है कि हमारे समाज का उत्थान सरकारी मदद के बिना नहीं हो सकता, नहीं तो अभी की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए यह प्रतीत हो रहा है कि हमारे समाज के उत्थान के लिए हमें लडऩा होगा और अपने अधिकारों को किसी भी कीमत में नहीं छोडऩा हैं।
उन्होंने यह भी माना कि फस्र्ट नेशन के कई समुदाय आज भी कंसरवेटिवस से नाराज हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पीसी पार्टी ने अपने कार्यकाल के दौरान कोई भी ऐसा प्रस्ताव या योजना को पारित नहीं किया जिससे उनके समुदाय का विकास हो सके। लेकिन पोईलीव्रे ने उनका विश्वास जीतते हुए कहा कि अब समय बदल गया हैं और न ही वे नेता इस पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं जो आदिवासियों को एक पिछड़ी व कमजोर प्रजाति समझकर कभी भी उनके उत्थान हेतु कार्य करते थे, लेकिन अब समय बदल चुका हैं और आदिवासी समाज भी स्वयं के उत्थान हेतु परिश्रम कर रहे हैं।
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